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Friday, 24 July 2020

हिमाचल प्रदेश: तीर्थन नदी किनारे बने इस सुंदर कॉटेज में बिते सुकून के पल! किसी जन्नत से कम नहीं!

हिमाचल प्रदेश: तीर्थन नदी किनारे बने इस सुंदर कॉटेज में बिते सुकून के पल! किसी जन्नत से कम नहीं! 

किसी यात्रा पर निकलें तो जितना महत्व उस स्थान का होता है, मेरे हिसाब से रहने की जगह भी उतनी ही अहम होती है। इन बातों से आप मेरे बारे कोई राय बनाएँ उससे पहले ही मैं साफ कर देता हूँ कि मैं कोई आराम पसंद ट्रैवलर नहीं हूँ। मैं कभी भी अपने रहने की जगह को आराम और सुविधाएँ देखकर नहीं चुनता बल्कि उसके आसपास के माहौल को भी परखता हूँ। एक ट्रैवलर के लिए होटेल या हॉस्टल की सुविधा के साथ ही उसकी लोकेशन और नज़ारा भी मायने रखता है। जब तक उस अकल्पनीय नज़ारे को सामने नहीं पाता हूँ तब तक जी को सुकून नहीं मिलता है।

आप भी अगर कुछ ऐसा ही सोचते हैं तो ये जगह परफेक्ट है, जिसे मैंने तीर्थन घाटी में सुकून के पल बिताने के लिए चुना था।

खास इनके लिए है ये जगह!
कपल, छोटे परिवार जो प्रकृति के करीब समय बिताना चाहते हैं, जिन्हें बिल्लियों और कुत्तों से डर नहीं लगता है, और अपने कमरों तक पहुँचने के लिए थोड़ी चढ़ाई भी कर सकते हैं।

जगह के बारे में जानकारी
राजू भारती के गेस्ट हाउस- के बारे में बताने वाले मेरेे फ्रेंड ने ये भी कह दिया था कि ये ज्यादातर बुक्ड ही रहता है। वहीं, गेस्ट हाउस मालिक राजू के बेटे करन ने भी फोन पर इस बात की पुष्टि कर दी। हालांकि मैंने दिल्ली में अपनेे घर से तीर्थन घाटी देखने की प्लानिंग कर डाली थी। सौभाग्य से जुलाई की शुरुआत में एक कमरा दो दिनों के लिए खाली मिला। लिहाज़ा मैंने मौका हाथ से जाने नहीं दिया और बारिश के दौरान भी लॉन्ग वीकेंड पर छुट्टी मनाने निकल पड़ा!

दो हफ्ते बाद- अपनी कार से गेस्ट हाउस के पास पहुँचा जो कि छोटे शहर गुशैनी से दो मिनट की दूरी पर था। करीब पहुँचकर घने पेड़ों के बीच ओझल गेस्ट हाउस देखा जा सकता था। मुझे पता चल गया कि ये यात्रा किसी एडवेंचर से कम नहीं होने वाली।
गेस्ट हाउस तीर्थन नदी के ठीक सामने है, और जिस रास्ते से आप जाते हैं वो एक चरखी पुल है। यह महज 10 सेकंड के लिए ही पड़ता है जिसे आप आने-जाने के लिए बार-बार इस्तेमाल करते हैं। मैंने कई बार इस चरखी के पुल को पार किया और जो नज़ारा दिखा वो बेहद दिलचस्प था। कॉटेज सेब, चेरी, खुबानी, बादाम और बेर के पेड़ों से भरे एक बाग से घिरा हुआ था। बता दें कि बाग में ज्यादातर पेड़ फलों से लदे हुए थे!
राजू के छोटे बेटे वरुण की भी तारीफ करनी पड़ेगी। उसने मुझे चमचमाते लाल रोडोडेंड्रोन का जूस दिया। गेस्ट हाउस हर तरह की हरियाली से घिरा हुआ था। कॉटेज के लकड़ी से बनी दीवारों पर लताएँ अपना रास्ता बना रही थीं। चारों ओर बगीचे में हर रंग और किस्म के फूल थे। मैं जूस पीते हुए घाटी के बीच में इस छोटे से स्वर्ग को निहारता रहा। इसी बीच एक काले रंग का कुत्ता कहीं से बाहर आया और अपनी ठुड्डी को मेरी गोद में रख दिया। अलग-अलग नस्लों के तीन अन्य कुत्ते भी देखने को मिले। चार कुत्तों के अलावा गेस्टहाउस में चार आकर्षक बिल्लियाँ भी मौजूद थीं। फलों, पेड़ों, बिल्लियों और कुत्तों के साथ हमने सहज और खुशनुमा पल बिताया।

गेस्ट हाउस के कमरे
कमरों की बात करें तो कॉटेज में आठ बड़े-बड़े कमरे हैं। चार मेन कॉटेज में स्थित हैं, जबकि चार एक दूसरी कॉटेज में हैं, जो कि मेन कॉटेज से दो मिनट की पैदल दूरी पर स्थित है। मेरा कमरा इस झोपड़ी में था, और मेरे लिए डबल बेड था। हमारे रहने की जगह से तीर्थन नदी और मेन कॉटेज दिखता था। हमने बाहर खुली बालकनी का इस्तेमाल धूम्रपान करने, पढ़ने और मेरे ताज़ी हवा को महसूस करने के लिए किया।

गेस्ट हाउस में खाना-पीना-
मैंने राजू के खाने के बारे में बहुत सुना था और मुझे यह पसंद आया, मैंने वास्तव में इसे एन्जॉय किया। शायद इसलिए कि इंडियन खाना मेरा पसंदीदा व्यंजन है और राजू के यहाँ इंडियन ही परोसा जाता है। लेकिन इतना कह सकता हूँ कि खाने में आपको बहुत सी विराईटी मिलेगी।

नाश्ते में परांठे, अंडे, टोस्ट, घर का बना जाम, ताजा खुबानी, सेब या रोडोडेंड्रोन का जूस और चाय या कॉफी भी एक विकल्प के रूप में था।

दोपहर का भोजन सब्जियों से भरपूर था जिनमें पनीर, चिकन या मटन, सलाद, अचार, पापड़, चावल और रोटी थी।

शाम को ताज़गी से भरी चाय और कॉफी लेकर हम पेड़ों से फल तोड़ने और उसे खाने के लिए भी घूमते रहे।

डिनर में दोपहर के भोजन की तरह ही कई आइटम के अलावा तली हुई ट्राउट मछली और मिठाई उपलब्ध थी। हमने वहाँ बिताए दो रातों में मीठी सेवइयाँ और फ्रूट कस्टर्ड लिया।

रहने का खर्च

गेस्टहाउस में समय बिताने का शुल्क ₹1500 से लेकर ₹1700 प्रति व्यक्ति है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि आप शाकाहारी या मांसाहारी भोजन का विकल्प चुनते हैं। इसमें रहना, नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का खाना शामिल है।

ऐसे करें बुक

गेस्टहाउस ऑनलाइन मौजूद नहीं है, इसलिए बुक करने के लिए आपको उन्हें कॉल करना होगा।

 नंबर ये रहे:- 9459833124, 9625211848


जाने का बेहतरीन समय

मौसम के लिहाज़ से तीर्थन घाटी घूमने के लिए अप्रैल से अक्टूबर का समय चुनना चाहिए। जून से लेकर मध्य अगस्त तक मॉनसून के महीनों में घाटी की यात्रा से बचना चाहिए, क्योंकि यहाँ भूस्खलन और बाढ़ की समस्या आम है।


गेस्टहाउस के आसपास क्या कुछ है ख़ास!

गुशैनी और आसपास के इलाके में बहुत कुछ एक्सप्लोर किया जा सकता है। नीचे उनकी लिस्ट देख सकते हैं:


सफर और ट्रेक-


Chhoie Waterfall - तीर्थन घाटी
तीर्थन नदी के साथ-साथ एक सड़क चलती है जो आपको गुशैनी से लगभग 3 कि.मी. दूर स्थित गहिधर गाँव तक ले जाती है। इस रास्ते से आगे बढ़ते हुए गाँव से गुरजते हैं तो 45 मिनट बाद आप एक जादुई वॉटरफॉल देखकर ठिठक जाते हैं। जंगल में छिपे इस 120 फीट ऊँची छोई फॉल के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, इसलिए आप वहाँ शांति से नज़ारे का आनंद ले सकते हैं। अपने स्विमिंग गियर को साथ ले जाना ना भूलें, ताकि आप साफ पानी में डुबकी लगा सकें।

ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क
यदि आप लंबी पैदल यात्रा के लिए मूड में हैं, तो ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के गेट तक 8 कि.मी. की पैदल दूरी पर लुभावनी खूबसूरती है। ये रास्ता जंगल के बाहरी इलाके से होकर जाता है जो कि ऊँचे पेड़ों, हरी पत्तियों और रंग-बिरंगे तितलियों से भरा रहता है। जैसे ही आप गेट की तरफ बढ़ते हैं, आपको रास्ते में दो गाँवों में रहने वाले स्थानीय लोगों के मुस्कुराते हुए चेहरे का अभिवादन देखने को मिलेगा। इस रास्ते में सबसे अच्छा स्थान झरना ही है, जो गेट से सिर्फ 100 मीटर की दूरी पर है।

माउंटेन बाइकिंग
अपने दिल के रोमांच और पैरों को काम पर लगाएँ, क्योंकि आप बाइक पर तीर्थन घाटी एक्सप्लोर कर सकते हैं। आपकी रुचि और फिटनेस स्तर के आधार पर, आप आधे दिन या पूरे दिन घूमने निकल सकते हैं। गेस्ट हाउस से किराए पर बाइक ले सकते हैं जिसका शुल्क ₹300 से शुरू होता है। वहीं और ₹300 में आप एक गाइड को साथ ले सकते हैं।

मछली पकड़ना
यदि आप मार्च और अक्टूबर के बीच तीर्थन घाटी में हैं, तो मछली पकड़ने के काम को ज़रूर आजमाएँ। तीर्थन नदी ट्राउट मछली से भरी है, और यदि आप एक या दो मछली पकड़ने में सफल हो जाते हैं तो रात के खाने का इंतजाम हो जाता है। राजू ने ₹800 किराए पर मछली पकड़ने के लिए एक पोल लगाया है, जिसमें एक मछली पकड़ने का लाइसेंस और कुछ बेसिक जानकारी भी शामिल है।

कैसे पहुँचें

कार द्वारा:- दिल्ली इस गेस्टहाउस का सबसे निकटतम मेट्रो शहर है जो कि लगभग 502 कि.मी. दूर है।

बस द्वारा:- हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (HRTC) या निजी बस से ऑट तक पहुँचें। वहाँ से आप या तो लगभग ₹1,000 में गेस्टहाउस के लिए डायरेक्ट टैक्सी ले सकते हैं, या लोकल बस से ₹35 में बंजार तक, और फिर ₹15 में गुशैनी तक एक और बस ले सकते हैं। दिल्ली से पूरी यात्रा में लगभग 14 से 15 घंटे का समय लगता है।

फ्लाइट द्वारा:- दिल्ली से भुंतर हवाई अड्डे तक उड़ान भरें। वहाँ से गुशैनी के लिए एक टैक्सी लें।



दोस्तों हम आपको भारत 😍 की सबसे खूबसूरत जगहों के बारे में बताते हैं हमारे पेज से जुड़ें ओर अपने मित्रों को भी जोड़ें कुदरत की खूबसूरती को निहारे😍☺️
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हिमाचल प्रदेश : अगर आप भी पहाड़ो की खूबसूरती को पसंद करते हैं तो आपको उनके बीच होना चाहिए।

हिमाचल प्रदेश : अगर आप भी पहाड़ो की खूबसूरती को पसंद करते हैं तो आपको उनके बीच होना चाहिए।
पहाड़ों की अलग ही खूबसूरती होती है, हर कोई उसमें खो जाना चाहता है। अगर आप भी पहाड़ो को पसंद करते हैं तो आपको उनके बीच होना चाहिए। उसके लिए सबसे अच्छी जगह है, हिमाचल प्रदेश। हिमाचल प्रदेश वैसे तो बहुत खूबसूरत है लेकिन वहाँ जाना अब हर किसी के हाथ में नहीं है। हिमाचल प्रदेश अब उतना सस्ता नहीं रह गया है, जितना पहले हुआ करता था।

यूँ तो अभी कुछ दिनों के लिए सफ़र करना गनीमत नहीं है। पर आप ज़ोरों से आने वाले महीनों की तैयारी कर सकते हैं ताकि जब आप घर से निकलें तो इस लम्बे इंतज़ार की पूरी भारपाई कर सकें।

अगर आप अपनी जेब को ढीला किए बिना हिमाचल को देखना चाहते हैं तो ये काम कीजिए। हमने बजट को ध्यान में रखते हुए हिमाचल की अच्छी जगहों की एक लिस्ट तैयार की है। उन शहरों को बजट के हिसाब से हमने अलग-अलग कैटेगरी में रखा है।


1. स्पीति घाटी
स्पीति घाटी हिमाचल प्रदेश की सबसे खूबसूरत और कम एक्सप्लोर की जाने वाली जगह है। यहाँ की ऊँची-ऊँची चोटी टूरिस्टों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। इस जगह को बहुत अच्छे से कम बजट में भी देख सकते हैं। स्पीति वैली जाएँ तो ताबो गाँव, मठ, धनकर लेक, कोमिक, लांग्जा, हिक्किम, किब्बर, चिचम और मड गाँव देखने ज़रूर जाएँ।

घूमने का सही समय: जून से अक्टूबर



2. किन्नौर
जो लोग पहाड़ों में एडवेंचर करना चाहते हैं तो उनके लिए मेरे लिए हिमाचल में एक जगह है, किन्नौर। एडवेंचर के अलावा यहाँ देखने के लिए बहुत सारी खूबसूरत जगहें है। किन्नौर ज़िले में ही चितकुल आता है। चितकुल भारत का आखिरी गांव है। इसके अलावा इसी जिले में सांगला घाटी भी आती है। आप यहां जाएं तो नाको गाँव, रक्छम, सांगला घाटी, चितकुल, कल्पा और रेकॉन्ग पियो को जरुर देखें।

घूमने का सही समय: मई से अक्टूबर, जुलाई से अगस्त को छोड़कर।




3. चंबा
कई मंदिरों और रावी नदी का घर है हिमाचल प्रदेश का चंबा। चंबा अपनी अनोखी खूबसूरती के लिए फेमस है। इसके अलावा चंबा कला और शिल्प के लिए भी जाना जाता है। इस जगह की सबसे खास और अच्छी बात ये है कि यहाँ ज्यादा भीड़ नहीं होती। टूरिस्ट चंबा कम आते हैं लेकिन इसके बिना हिमाचल को जानना अधूरा है। आप चंबा आएँ तो चंबा शहर, कलातोप वन्यजीव अभयारण्य, खज्जियार और डलहौजी ज़रूर जाए

 घूमने का सही समय: चंबा आने के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से नवंबर का है।



4. शिमला
बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो लास्ट मिनट में घूमने की प्लानिंग करते हैं। अगर आपके साथ ऐसा कभी हो तो आपको शिमला ज़रूर जाना चाहिए। सर्दी हो या गर्मी शिमला जाने के लिए हमेशा परफेक्ट टाइम होता है। यहाँ हर समय टूरिस्ट को देखने के लिए कुछ ना कुछ होता ही है। अगर आप शिमला जाएँ तो शिमला मॉल रोड, द रिज, जाखू मंदिर, कुफरी, नालदेहरा, शोघी जैसी जगहों पर ज़रूर जाएँ।

घूमने का सही समय: पूरे साल, मॉनसून में और जनवरी से फरवरी तक।



5. मनाली
सिर्फ कपल्स और हनीमूनर्स ही नहीं आपको मनाली में ट्रैवलर्स और ट्रेकर्स भी मिल जाएँगे। मनाली वो जगह है, जहाँ पर कई ट्रेक शुरू होते हैं। ये जगह नाॅर्थ-इंडिया की सबसे अच्छी जगहों में से एक है। अगर आप मनाली जाएँ तो ओल्ड मनाली, मॉल रोड, हडिम्बा मंदिर, रोहतांग दर्रा, वशिष्ठ हॉट वाटर स्प्रिंग्स, जोगिनी फॉल्स और नग्गर विलेज जैसी जगहें ज़रूर देखें।

घूमने का सबसे अच्छा समयः पूरे साल, जनवरी से फरवरी तक, जुलाई-अगस्त को छोड़कर।



6. कसोल
कसोल हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित है। पार्वती नदी के किनारे बसी ये जगह बहुत शांत और खूबसूरत है। मिनी इज़राइल के नाम से फेमस कसोल बैकपैकर्स के लिए जन्नत है। मलाणा और खीरगंगा ट्रेक के लिए ये जगह शुरूआती प्वाइंट के तौर पर जानी जाती है। कसोल जाएँ तो आप खीरगंगा, मलाणा, मणिकरण और तोश की यात्रा कर सकते हैं।

घूमने का सही समय: पूरे साल, मॉनसून और जनवरी से फरवरी को छोड़कर।



7. बंजर
बहुत सारे लोग हैं जो कश्मीर जाना चाहते हैं, आप अगर अभी तक कश्मीर नहीं गए हैं और उसका अफसोस जताते हैं तो आपको हिमाचल के बंजर जाना चाहिए। ये अपने नाम के उलट बेहद खूबसूरत है। यहाँ की खूबसूरती आपका मन मोह लेगी। मेरा अनुमान है इस जगह पर जाने के बाद आपको कश्मीर याद नहीं आएगा। अगर आप हिमाचल के बंजर घूमने जाएँ तो बंजर के पास शोजा, जीभी, गुशैणी, सैंज और थाची जैसी कुछ बेहतरीन जगहों को देखने का प्लान बना सकते हैं।

घूमने का सबसे अच्छा समयः पूरे साल, मॉनसून और जनवरी से मार्च को छोड़कर।



8. धर्मशाला 
आप अगर अपने वीकेंड को पहाड़ों के बीच बिताना चाहते हैं धर्मशाला से बेहतर जगह क्या हो सकती है? अध्यात्म से लेकर मन मोहने वाली खूबसूरती आपको यहाँ मिलेगी। इन खूबसूरती को आप यहाँ के बेहतरीन कैफे से देख सकते हैं। जब भी हिमाचल की खूबसूरती की बात की जाएगी तो धर्मशाला का नाम ज़रूर लिया जाएगा। धर्मशाला में आप मैकलॉडगंज, नड्डी व्यूपॉइंट, त्रियुंड और धरमकोट जैसी जगहें देखने लायक हैं।

घूमने का सबसे अच्छा समयः पूरे साल, मॉनसून को छोड़कर।


9. बीर-बिलिंग पैराग्लाइडिंग
ये तो सबको पता है कि बीर-बिलिंग पैराग्लाइडिंग के लिए फेमस है। इसके अलाव बीर कई बौद्ध मठों और छोटे पड़ावों की भी जगह है। यहाँ आप कुछ दिन शांति से खूबसूरती के बीच अपना वक्त गुज़ार सकते हैं। ये जगह आपको बहुत पसंद आएगी। अगर आप यहाँ आएँ तो पालमपुर, बरोट और अंद्रेटा का सफर ज़रूर करें।

घूमने का सही समय: पूरा साल, मॉनसून को छोड़कर।



10. नारकंडा
शिमला भीड़ की वजह से भर-सा गया है लोग इस वजह से वहाँ कम जाना चाहते हैं। तब उनको तलाश होती है तो ऐसी ही खूबसूरत जगह की और वो जगह है, नारकंडा। अगर आप नारकंडा सर्दियों में जाएँ तो वहाँ बर्फ में स्कीइंग जैसी एडवेंचर एक्टिविटी का आनंद ज़रूर लें। अगर आप नारकंडा की वादियों में आएँ तो हाटु शिखर, तानी जुब्बर झील, नारकंडा मंदिर देखने ज़रूर जाएँ।

घूमने का सही समय: पूरे साल, मॉनसून को छोड़कर।




11. पराशर झील 
जब हम हिमाचल की घूमने की जगहों की बात करते हैं तो ट्रेक और लेक की भी बात ज़रूर होगी। ट्रेक करके आपको लेक देखनी है तो पराशर लेक देखनी चाहिए। ये लेक सिर्फ खूबसूरत ही नहीं है बल्कि आसपास की जगहें भी देखने लायक है। यहाँ देखने के लिए वादियाँ हैं, जंगल हैं और पराशर लेक है।

घूमने का सही समय: अप्रैल से जून तक और सितंबर से नवंबर तक।



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