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Saturday, 11 July 2020

अमरनाथ यात्रा - प्राकृतिक स्वर्ग को अपनी घुमक्कड़ी तिजोरी में कैद करे !

अमरनाथ यात्रा - प्राकृतिक स्वर्ग को अपनी घुमक्कड़ी तिजोरी में कैद करे !


अमरनाथ यात्रा का ख्याल आते ही हम सभी के मन में एक धार्मिक तरह की यात्रा का ख्याल आता है लेकिन मेरे लिये धार्मिक से ज्यादा प्रकृति से नज़दीक से रुबरु होने के साथ ही एक और प्राकृतिक स्वर्ग को अपनी घुमक्कड़ी तिजोरी में कैद करना था। जितना मैंनें सर्च किया था उससे कहीं अलग ही थी यह यात्रा । हम सभी काफी समय से इसका प्लान कर रहे थे । लेकिन इस बार यह यात्रा हमारे मेडिकल कराने से शुरु हो गयी थी, बता दें इस यात्रा पर जाने से पहले आपको अमरनाथ श्राइन बोर्ड द्वारा आपके शहर में गठित पैनल के द्वारा मेडिकल सर्टिफिकेट लेना होता है । आपको बता दूँ इस पैनल पर ज्यादा भरोसा ना करते हुए आप शरीर को चुस्त-दुरस्त रखने हेतु रोजाना कुछ समय निकाल कर दौड़ या व्यायाम करें । किसी भी तरह की हार्ट या सांस की बिमारी होने पर इस यात्रा से दूर रहें क्योंकि यह यात्रा का रुट काफी दुर्गम है और आक्सीजन की भी काफी कमी हो जाती है । यात्रा के दो रुट हैं एक पहलगाम रुट व दूसरा बालटाल । पहलगाम पुराना व काफी लम्बा व प्राकृतिक रुप से धनी है जबकि बालटाल नया व इससे आप एक दिन में दर्शन प्राप्त कर लौट सकते हैं । इसके अलावा हेलीकाप्टर की सुविधा भी है जिससे आप पंजतरणी तक जा सकते हैं उसके बाद ट्रेक कर या घोड़े से ।

यात्रा कार्यक्रम-

दिल्ली जम्मू - पहलगाम - अमरनाथ गुफा-बालटाल

ट्रेन टिकट - दिलली से जम्मू - ₹1216 ( A/C )

टैक्सी - जम्मू बेस कैम्प से पहलगाम बेस कैम्प - ₹4000

पहलगाम बेस कैम्प - ₹150 से ₹350 प्रतिव्यक्ति

निकटतम रेलवे स्टेशन- जम्मू-तवी रेलवे स्टेशन

निकटतम हवाई अड्डा- श्रीनगर हवाई अड्डा

यात्रा के लिये जरुरी सामान- 

1. गर्म कपड़े/जैकेट
2. रेनकोट
3. वाटरप्रूफ जूते
4. टॉर्च


पहला दिन - जम्मू
कानपुर से जम्मू स्टेशन पर उतरने के बाद हम निकल लिए जम्मू के भगवती नगर बेस कैम्प के लिए। रास्ते में जगह- जगह भण्डारे यात्रियों के लिए चल रहे थे। सेक्योरिटी बहुत ही ज्यादा थी करीब 500 मी0 की चेक पोस्ट में अपनी चेकिंग/स्कैन के बाद हम दाखिल हुए बेस कैम्प में। वहाँ यात्रियों के लिए सभी तरह की व्यवस्था मौजूद थी जहाँ गद्दा आदि लेकर एसी/ऩॉन एसी हॉल में रुक सकते थे । सभी सुविधाएँ पेड थी लेकिन काफी कम रुपये में, वहाँ हम लोगों को बताया गया कि स्नान आदि करने के बाद भोजन कर कल जाने के लिए कॉउन्टर से बस के टिकट ले लें क्योंकि यात्रा सुबह 04 बजे के आसपास ही एक जत्थे में ही सी0आर0पी0एफ/आर्मी/पुलिस की सुरक्षा में निकलती है । जत्थे के निकलने के वक्त जम्मू कश्मीर हाई-वे को आमजनों के लिये सुरक्षा करणों से बन्द कर दिया जाता है । सिर्फ यात्री ही जा सकते हैं । साधारण/वोल्वो आदि बसों का किराया ₹450 से ₹800 तक था । आप टैक्सी आदि करके की भी जत्थे के साथ जा सकते हैं । हम लोगों ने बेस कैम्प में ना रुक जम्मू में ही गुर्जर नगर में जाकर होटल लेकर सामान रखा व फ्रेश होने के बाद लोकल दर्शन के लिए निकल गए साथ ही हमें कल सुबह के लिए टैक्सी भी करनी थी । बाजार में काफी जांच-परख ₹4000 में पहलगाम के लिए टैक्सी कर ली । टैक्सी वाले ने हमें होटल के बाहर सुबह 04 बजे मिलने के लिए बोला । बाजार से ही हमने बी0एस0एन0एल के सिम लिए व होटल आ गए । क्योंकि हमारे सिम यहाँ काम नहीं कर रहे थे ।


दूसरा दिन - जम्मू से पहलगाम
सुबह 04 बजे के आसपास हम होटल से यात्रा पर निकल लिए । जैसे ही हम हाई-वे पर पहुँचे जत्था भी निकल ही रहा था । हम उसके पीछे हो लिए लेकिन आगे चेकपोस्ट पर सिक्योरिटी ने हमें रोक लिया । क्योंकि बेस कैम्प की गाड़ियों पर एक टैग लगा होता है जो हमारी गाड़ी पर नहीं था । फिर हम लोगों ने जाकर उन ऑफिसर से बात की और बताया की हम भी यात्री हैं । तो उन्होंने हमारा रेजिस्ट्रेशन स्लिप आदि चेक करने के 10 मिनट बाद हमको जाने दिया । आर्मी व सीआरपीएफ के जवान चप्पे-चप्पे पर हम लोगों की सुरक्षा हेतु लगे हुए थे । सुबह की सर्द हवा कश्मीर की वादियों में एक सूकुन दे रही थी । कुछ दूरी चलने पर 9.2 कि0मी0 की चेनानी-नाशरी टनल से गुजरें जो कि आधुनिक इन्जीनियरिंग का एक अच्छा उदाहरण है । यह टनल सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है ।
पहाड़ों के बीच काफी खूबसूरत जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर हम चले जा रहे थे, पूरे हाईवे पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर यात्रियों के लिए बड़े लंगर चल रहे थे, जो कि गाड़ियों को रोक-रोककर चाय नाश्ता करा रहे थे । हम लोगों ने भी लंगर में नाश्ता किया, यात्रियों के लिये काफी अच्छा इंतजाम था । पूरे भारत के अलग-अलग क्षेत्रों से आये लोगों के लिये सभी तरह के नाश्ते का इंतजाम किया गया था । इतना तो समझ आगया कि पूरी यात्रा में खाने के बारे में सोचना नहीं पड़ेगा ।
वादियों की यात्रा मन को मोह लेने वाली थी। जैसे ही पहलगाम के करीब पहुँच रहे थे वादियाँ और भी खूबसूरत होती जा रही थी, हाईवे के साथ बहती स्वच्छ बिल्कुल ठंडे पानी की नदी ने हम लोगों का पहलगाम में स्वागत किया । इस नज़ारे को देखते ही मन हुआ बस गाड़ी रोक दी जाये । पहलगाम का नज़ारा अत्यंत ही आँखों को सुकून देने वाला था आज समझ आया कश्मीर को जन्नत क्यों बोलते हैं । हम लोग भी गाड़ी किनारे पार्क कराकर पानी में उतर गए, वो पानी नहीं था बिल्कुल बर्फ था पैर गल रहे थे, बिल्कुल शीशे सा साफ पानी हम लोग कुछ फोटो वगैरह लेने के बाद आगे को बढ़ गए । य़े नदी हमारे साथ ही साथ आगे बढ़ रही थी लेकिन इसका वेग व सुन्दरता और बढ़ती जा रही थी, आगे के नज़ारे और भी सुन्दर थे क्योंकि इस नदी किनारे ही घास के बड़े-2 मैदान हमें रोक रहे थे । हम इन नज़ारों को आँखो में कैद कर आगे बढ़ रहे थे ।
दोपहर 03 बजे के आसपास हम लोग पहलगाम बेस कैम्प पहुंच गये । सिक्योरिटी चेक के बाद हम लोग अन्दर गये । टेन्ट के रेट 150, 250 प्रति व्यक्ति के हिसाब से थे, हम लोगों ने काफी बातचीत के बाद चार लोगों के लिये 1000 रुपये में एक टेण्ट ले लिया । जोकि काफी बड़ा व साफ-सुथरा था । हमारे खाने से लेकर नहाने आदि के लिये काफी अच्छा इंतजाम था । खाने में ऐसा कोई भी डिश नहीं थी जो वहां लंगर में हमारे लिये उपलब्ध नहीं थी ।
एक छोटा बाज़ार भी बेस कैम्प में था जहाँ से आप गर्म कपड़े, दस्ताने, टोपी, रेनकोट, ट्रेकिंग के लिए डण्डे आदि ले सकते थे जो काफी सही रेट पर मिल रहे थे । हमारे एक साथी का जन्मदिन था और यहाँ केक लाना भी एक टास्क था, अपने टेन्ट वाले सरताज भाई ने केक लाने में हमारी काफी मदद की और हम जन्मदिन सेलीब्रेट कर अगले दिन की सारी तैयारी कर सो गये ।


तीसरा दिन - चंदनवाड़ी
पहलगाम बेस कैम्प से पोशपत्री बेस कैम्प
हम लोग नाश्ता कर सुबह के 05 बजे बेस कैम्प के गेट पर लाइन में लग गए । लंगर की इतनी अच्छी व उच्च कोटि की व्यवस्था मैंने कहीं भी नहीं देखी, लाइन में भी लंगर वाले चाय/नाश्ता लाकर हाथों में दे रहे थे । यहाँ से 12 कि0मी0 की यात्रा चंदनवाड़ी तक हम लोगों को कार से करनी थी । चेक पोस्ट से निकल ₹100 प्रतिव्यक्ति के किराये पर टैक्सी द्वारा हम लोग चंदनवाड़ी पहुँच गए। यहाँ चेक पोस्ट पर मेला जैसा नज़ारा था । लंगर वालों ने मानो दिल ही जीत लिया था सुबह के वक्त फल, चाय, चॉकलेट, बादाम-दूध, पोहा आदि कुछ भी बाकी नहीं था ,हम लोगों को जबरजस्ती दे रहे थे । हम लोग बस आगे बढ़े ही थे की प्रकृति ने मन को छू लिया पहाड़ों के बीच जमी हुई बर्फ से हमें जाना था बगल में पानी का शोर क्या बात । लेकिन अब समय था ट्रेकिंग का क्यों कि आगे चढ़ाई थी पिस्सूटॉप की जो काफी कठिन है । कुछ समय की मशक्कत के बाद हम उपर थे। लेकिन 10 मिनट आराम कर, लंगर से गरम पानी ले हम आगे बढ़ गये यहाँ भी लंगर की व्यवस्था थी हम तो यही सोच रहे थे ये लंगर का सामान यहाँ आया कैसे होगा । क्या नजारे थे प्राकृतिक सुन्दरता चरम पर थी जैसे-2 आगे बढ़ रहे थे रोमाचं बढ़ता जा रहा था !
आप समझिये इतनी ऊँचाई पर आपको डी0जे0 मिल जाये फिर क्या था । हम लोग 10 मिनट थिरकने के बाद नजारों का आनन्द लेते हुये दोपहर 1:30 बजे शेषनाग बेस कैम्प पहुँच गये थे । इससे आगे जाने के लिये हमारे पास 30 मिनट का टाइम था क्योंकि 02 बजे के बाद इसका गेट बन्द हो जाता है । इसके बाद आपको रात्रि यहीं रुकना पड़ेगा । थोड़ा विचार करने के बाद हम लोगों ने आगे जाने का निर्णय लिया । लेकिन कुछ दूर चलने पर ही यह फैसला गलत लगने लगा क्योंकि यह और भी कठिन ट्रेक था महागणेश टॉप का, इसकी ऊँचाई 14500 फीट है । ऑक्सीजन की बहुत कमी महसूस हो रही थी । लेकिन किसी तरह हम पोषपत्री शाम 05 बजे तक पहुँच गये थे । ऑक्सीजन की कमी के कारण सभी के सिर मे दर्द हो रहा था । वहाँ हम लोगों को 04-04 कम्बल दिये गये व एक-01 बेड वो भी फ्री । इतनी ऊँचाई पर पोषपत्री में लंगर वालों की ओर से यह सारी व्यवस्था थी ।
हम लोगों को बताया आप सभी फ्रेश हो लें व आरती के बाद 07 बजे खाना चालू होगा । यहाँ लंगर वालों ने लाइट के लिये अपना एक छोटा सा हाइड्रो पावर प्लांट भी लगा रखा था । खाने के बाद हम सो गये । रात को करीब 09 बजे डाक्टर हमारी डॉरमेट्री में आये और जिसको भी समस्या हो रही थी उनको चेक कर दवा दी और बताया कि ऑक्सीजन की कमी के कारण आपको नींद नहीं आ रही होगी परेशान न हो आंखे बंद कर सोने की कोशिश करें ।


शेषनाग झील 
चौथा दिन - पोषपत्री से पंचतरणी से होली केव
पूरी यात्रा के दौरान एन.डी.आर.एफ. व सेना के जवान हमारी सुरक्षा के लिये चप्पे- चप्पे पर तैनात थे, जहाँ ऑक्सीजन की कमी थी वहाँ आक्सीजन सिलेण्डर के साथ तैनात थे । जगह-जगह मेडिकल कैम्प की व्यवस्था थे । इन सभी को दिल से जय हिन्द ।




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चन्द्रताल भारत की उन साफ़ झीलों में एक है, जहाँ घुमक्कड़ चले आते हैं खुली हवा में साँस लेने।

चन्द्रताल भारत की उन साफ़ झीलों में एक है, जहाँ घुमक्कड़ चले आते हैं खुली हवा में साँस लेने।
एक वक़्त था, जब चन्द्रमा ख़ुद हमारे प्यारे भारत की सैर करने के लिए आया हुआ था। अब जैसा कि हमारे यहाँ रिवाज है, कोई बड़ी हस्ती हमारे यहाँ आती है, तो उसको नज़राना पेश किया जाता है। उसके सम्मान में कुछ ख़ास बनवाया जाता है। ठीक वैसे ही चाँद को नज़राना पेश करने के लिए जिस झील को बनाया गया, उसे चन्द्रताल का नाम मिला। माना फ़साना मेरा है, लेकिन एकदम सही है।

चन्द्रताल भारत की उन साफ़ झीलों में एक है, जिनके आस-पास फैले हुए लाहौल स्पीति के पहाड़ और मीलों दूर का खाली इलाक़ा, जहाँ घुमक्कड़ चले आते हैं खुली हवा में साँस लेने।

चन्द्रताल की कहानियाँ
ये कहानियाँ मैंने भी सुनी ही हैं। ख़ुद से कोई मनगढ़ंत क़िस्सा नहीं सुना रहा।

किसी ज़माने में एक गड़रिया हुआ करता था। अपनी भेड़ें चराने के लिए जाया करता था। भेड़ों का क्या है, वो कहीं पर भी घास चरने चली जाती हैं। सारी ज़िम्मेदारी उस गड़रिए की हुआ करती थी। एक बार क्या हुआ, गड़रिये को भेड़ें चराते हुए झील पर एक परी मिली। उसको परी से प्यार हो गया। काफ़ी समय तक वो अपनी पत्नी को भूल इसी परी के साथ रहने लगा।

परी ने गड़रिए को वादा माँगा था कि वो किसी को उसके बारे में न बताए, नहीं तो वो उसको छोड़ कर चली जाएगी। सालों तक ऐसा ही चला, लेकिन एक बार उसने गुस्से में ये वादा तोड़ दिया। ठीक उसी समय परी भी उड़कर ग़ायब हो गई। जब गड़रिया कुछ दिन बाद वापस आया, तो न परी थी न ही कुछ और। यही देखकर वो रोने लगा। कहते हैं आज भी गड़रिए की आत्मा उस परी की याद में यहाँ आती है।



एक दूसरी कहानी भी ऐसी ही है। वो है द्वापरयुग की। जब महाभारत का युद्ध हो गया तो युधिष्ठिर अपने सारे भाइयों और पत्नी के साथ संन्यास पर निकल गए। एक एक करके परिवार में सबकी मृत्यु हो गई। आख़िरकार वो पहुँचे चन्द्रताल झील के पास, जहाँ से उनको भगवान
इन्द्र का रथ स्वर्ग तक लेकर गया।

कहाँ पर है चन्द्रताल झील
लाहौल-स्पीति घाटियों में स्पीति वाले इलाक़े में पड़ती है चन्द्रताल झील। यह जगह सदियों से रिमोट एरिया रही है। लोग ज़्यादा आते जाते भी नहीं थे यहाँ पर। लेह लद्दाख जैसा ठण्डा रेगिस्तान आपको यहाँ भी मिल जाएगा। लेकिन यह जगह हम एडवेंचर पसन्द लोगों के लिए, जो ख़ुद की ट्रेकिंग पर भरोसा करते हैं और उनके लिए, जो नई जगह की तलाश में है, के लिए तो बहुत ही बढ़िया है।
 
कैसे पहुँचें चन्द्रताल झील
आप सबसे पहले दिल्ली से मनाली तक बस से पहुँच सकते हैं। यहाँ से आप सीधा कार से बातल तक पहुँच सकते हैं। मैं पहले ही बता दूँ, कि ये जगह सामान्य पर्यटकों के लिए नहीं है, थोड़ा एडवांस लेवल की जगह पर आपको सतर्कता ज़्यादा बरतनी होगी। बेहतर होगा कि आप टैक्सी से आएँ, ख़ुद कार लेकर न आएँ।


बातल से आप ट्रेकिंग करते हुए पहुँच सकते हैं। चाहें तो आप मनाली से ट्रेकिंग के लिए भी निकल सकते हैं।

 वैसे तो आप गाड़ी से ही चन्द्रताल झील तक पहुँच सकते हैं, लेकिन फिर ट्रेकिंग का मज़ा नहीं आएगा, तो सफ़र खाली खाली सा लगेगा।

क्या क्या ले चलें
> ठण्ड से बचने के लिए गर्म कपड़े साथ ज़रूर ले लें।

> ट्रेक लम्बा है तो वैष्णो देवी के ट्रेक की तरह एक लकड़ी वाली लाठी भी ले लें।

> फ़्लैशलाइट, काम आएगी। मान ले मान ले मेरी बात।

> खाने का सामान और सामान्य ट्रेवल की चीज़ें।

जाने का सही समय

अक्टूबर से मार्च के बीच तो यहाँ जाने के बारे में सोचें भी नहीं। क्योंकि ठण्डा रेगिस्तान अपनी ठण्डी के शबाब पर होता है। जुलाई और अगस्त के बीच का समय बेस्ट है यहाँ जाने के लिए।

तो कब बनाया आपने चन्द्रताल घूमने का प्लान, कमेंट बॉक्स में हमें बताएँ।




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हिमाचल प्रदेश का यह प्यारा सा शहर प्राचीन मंदिरों, हरे देवदार और ऊँचे देवदार के पेड़ों से भरा है।

हिमाचल प्रदेश का यह प्यारा सा शहर प्राचीन मंदिरों, हरे देवदार और ऊँचे देवदार के पेड़ों से भरा है।
मंडी

चाहे आप एक टूरिस्ट हों या एक ट्रेवलर, मंडी जाकर आपको एक अलग ही अनुभव और दुनिया देखने को मिलेगी । हिमाचल प्रदेश का यह प्यारा सा शहर प्राचीन मंदिरों, हरे देवदार और ऊँचे देवदार के पेड़ों से भरा है। इसकी अनछुई जगहों में सबसे अधिक शांत झीलें और कस्बे है और उन कस्बों मे इतनी हरियाली है की आपने शायद ही कभी कहीं देखी हो । आप चाहे अपने दोस्तों, परिवार, पति या पत्नी किसी के भी साथ हों, मंडी घूमने के लिए निकलना हमेशा एक शानदार प्लान है ।

मंडी तक कैसे पहुँचे ?

वायु मार्ग द्वारा- मंडी का अपना कोई हवाई अड्डा नहीं है। मंडी का निकटतम हवाई अड्डा कुल्लू में भुंतार हवाई अड्डा है। भुंतर हवाईअड्डे को पायलटों के लिए एक चुनौतीपूर्ण हवाई अड्डा माना जाता है, क्योंकि रनवे एक घाटी में स्थित है और चोटियों से घिरा हुआ है। यहाँ से मंडी 60 कि.मी. है और आप यहाँ से 2 घंटे में मंडी सकते है । इसके अलावा चंडीगढ़ एयरपोर्ट तक फ्लाइट से आकर आप वहाँ से टैक्सी या बस द्वारा भी मंडी पहुँच सकते है, जो की 215 कि.मी. की दूरी पर है । वायु मार्ग से किराया लगभग ₹3800 तक हो सकता है ।

 रेल मार्ग द्वारा- निकटतम रेलवे स्टेशन जोगिंदर नगर मंडी से लगभग 55 कि.मी. की दूरी पर है। वर्तमान में, दो ट्रेनें हैं जो स्टेशन पर रुकती हैं। ये ट्रेनें जोगिंदर नगर से पठानकोट को जोड़ती हैं। रेल मार्ग द्वारा एक तरफ का खर्चा ₹1000 से ₹1500 तक आएगा ।

सड़क मार्ग द्वारा- मंडी बस द्वारा नई दिल्ली, शिमला और चंडीगढ़ से जुड़ा हुआ है। नई दिल्ली और मंडी को जोड़ने के लिए काफी बसें हैं, जो 475 कि.मी. की दूरी तय करती हैं। दिल्ली से मंडी तक बस से यात्रा करने में लगभग 12 घंटे लगते है । सड़क मार्ग द्वारा एक तरफ का खर्चा ₹500 से ₹1200 तक आएगा ।


यात्रा करने का सबसे अच्छा समय

वैसे तो मंडी में पूरे साल कभी भी जाया जा सकता है लेकिन सबसे अच्छा समय अप्रैल से अक्टूबर का है। इन महीनों का मौसम छुट्टियों के लिए सुहाना होता है।

मंडी में घूमने की जगहें

पाराशर लेक
पाराशर लेक मंडी से 55 कि.मी. दूर है जहाँ आप टैक्सी या पब्लिक वाहन द्वारा पहुँच सकते है । इस अनोखी झील के अंदर एक गोल, तैरता हुआ छोटा सा द्वीप है। यह तैरता हुआ टुकड़ा झील मे सभी दिशाओं की तरफ तैरता रहता है । कोई नहीं जानता कि झील कितनी गहरी है क्योंकि अभी तक कोई भी इसकी गहराई को नहीं नाप पाया है, इसका यह रहस्य अभी भी अनसुलझा है। यहाँ से धौलाधार, पीर पंजाल और किन्नौर पर्वत श्रृंखला के शानदार नज़ारो को देखकर आप रोमांचित हो जाएँगे और आपका उनसे आँखे हटाने का मन ही नहीं करेगा।

झील के पास एक सुंदर मंदिर है जो अपनी शानदार वास्तुकला के लिए जाना जाता है। यह मंदिर ऋषि पाराशर को समर्पित है। अपनी वास्तुकला की वजह से शानदार हिमाचली डिजाइन में बना यह मंदिर पूरी तरह से इसके आस-पास के नज़ारों में घुल-मिल जाता है। आप अपने फिटनेस स्तर के आधार पर इस झील तक पहुँचने के लिए ड्राइव या ट्रेक करना चुन सकते हैं क्योंकि ट्रेक को करने में कम से कम 4 से 7 घंटो का समय लगता है। 


रेवलसर
रेवलसर लेक मंडी से 23 कि.मी. दूर है जहाँ आप टैक्सी द्वारा पहुँच सकते है । रेवलसर को तिब्बती में त्सो पेमा के रूप में भी जाना जाता है, यह एक छोटा शहर और एक तीर्थ स्थान है। यहाँ कई जगह हैं जो आप देख सकते हैं, पवित्र रेवलसर झील अपने तैरते द्वीपों व मछलियों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। अगर आपको शांति और प्राकृतिक सुंदरता पसंद है, तो यह आपके लिए एकदम सही जगह है।

रेवलसर में आप ये जगहें देख सकते हैं:

• पद्मसंभव गुफाएँ
• पद्मसंभव की प्रतिमा (गुरु रिनपोचे)
• निंगमा मठ
• नैना देवी मंदिर
• ड्रिकुंग काग्यू गोम्पा
• जिगर द्रुक्पा करग्यूड संस्थान
• गुरु गोविंद सिंह गुरुद्वारा


शिकारी देवी
मंडी से 91 कि.मी. दूर इस जगह को मंडी का ताज कहा जाता है क्योंकि यह जिले का सर्वोच्च शिखर है। शिकारियों की देवी, शिकारी देवी के प्रसिद्ध बिना छत वाले मंदिर को देखना न भूलें। यह प्रसिद्ध मंदिर 3,359 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, और आप यहाँ घने जंगलो से घिरे हुए एक बेहद सुंदर रोड पर जीप से जा सकते है । यहाँ पर प्रकृति-प्रेमीयों की आँखे यहाँ के हरे चरागाहों, सूर्योदय और सूर्यास्त और बर्फ की पर्वतमाला पर तो मानो जम सी जाएँगी।

कमरु नाग
हिमाचल प्रदेश में यह छोटा पर हरियाली से भरपूर स्थान हर प्रकृति-प्रेमी व आध्यात्मिक यात्री के लिए एक स्वर्ग है। 3,334 मीटर की ऊँचाई पर स्थित, यह स्थान अपने झील और इसके बगल में देव कमरुनाग के मंदिर के लिए जाना जाता है। देवदार के घने जंगल झील और मंदिर की छत से मानो जुड़े हुए से लगते हैं। वर्षा के देवता कमरुनाग को भक्त, उनकी माँगी इच्छा पूरी होने के बाद सोने, चांदी और सिक्के चड़ाते हैं। इस स्थान से धौलाधार रेंज और बल्ह घाटी के बहुत सुंदर नज़ारे दिखाई पड़ते है ।

थाची
अगरआपको हमेशा सप्ताहांत में हमेशा घूमने की जगह सोचने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है, तो इस बार थाची जाने का प्लान बनाएँ । मंडी से 52 कि.मी. दूर यह घाटी हिमाचल प्रदेश की एक अनछुई जगह है, जो पूरी तरह से प्रकृति, शांति और हरियाली को समर्पित है। हम यह निश्चित रूप से दावा करते हैं कि यह कोई पर्यटक स्थल नहीं है बल्कि प्रकृति-प्रेमियों और जुनूनी यात्रियों के लिए पूरी तरह से समर्पित कस्बा है । जब आप नीले आकाश, हरे भरे जंगल, बर्फबारी और बर्फ से पिघलती जल धाराओं को देखेंगे तो निश्चित रूप से आपकी आँखे आश्चर्ये से भर जाएँगी। यह उन ट्रेकर्स के लिए तो स्वर्ग है, जो सेब के खेतों और हरी-भरी घाटियों के आसपास रहना व ट्रेक करना पसंद करते है । यहाँ बर्फबारी मार्च के मध्य तक होती है, इसलिए अपनी यात्रा की योजना इसके हिसाब से बनाएँ।

जनित्री धार वन
 
जनित्री धार मंडी से 91 कि.मी. दूर है जिसका शिखर कमलागढ़ किला,मंडी के बिल्कुल सामने ही स्थित है। इस स्थान तक पहुँचने के लिए आप धरमपुर मंडी से लाग धर फॉरेस्ट रोड पर गाड़ी से जा सकते हैं। अगर आप अकेले में आराम करना चाहते हैं, तो आपको यह जानकर खुशी होगी कि अंदर घने जंगल में एक पुराना फॉरेस्ट गेस्ट हाउस है जहाँ आपको खुद के लिए समय निकालने में आसानी होगी। इस स्थान के आध्यात्मिक पक्ष में रुचि रखने वाले यात्रियों के लिए, यहाँ ध्यान करने के लिए एक मंदिर है जो की ऊपर चोटी पर है और आप यहाँ निश्चित रूप से शांति पा सकते है । अगर आप एक निमोफिलिस्ट यानी जंगलों से प्यार करने वाले इंसान हैं, तो यह वह जगह है जहाँ आपको रुकना चाहिए ।

बरोट
आप चाहे अकेले यात्रा कर रहे हों, परिवार के साथ जा रहे हों या दोस्तों के साथ घूमने का प्लान हो यह जगह सभी स्थितियों में सही है । बरोट, मंडी से मात्र 66 कि.मी. दूर है। हिमाचल प्रदेश का यह आकर्षक गाँव अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। प्रकृति-प्रेमियों के लिए बरोट, स्वर्ग सा प्रतीत होता है जिसके आस-पास भी घूमने के लिए बहुत कुछ है । 

आप इन जगहों को बरोट यात्रा पर देख सकते हो :

• उहल नदी
• नारगु वन्यजीव अभयारण्य
• चुहार घाटी
• शानन हाइडल प्रोजेक्ट

इसके अलावा आप ट्रेकिंग और नेचर कैंपिंग जैसी रोमांचक गतिविधियों में भी हिस्सा ले सकते हैं।

जंजेहली
जब आप जंजेली में होंगे तो हरियाली के बीच बहती ठंडी हिमालयी हवा आपका स्वागत करेगी। यह मंडी के अनछूए प्रदेशों में से एक है और मंडी से 99 कि.मी. दूर है लेकिन एक बार जब आप यहाँ पहुँच जाते हैं, तो जो सुंदरता आप यहाँ देखते हैं उसे आप जीवन में शायद ही कभी भूल पाएँ, आपको यहाँ आकर लगेगा मानो आप स्वर्ग में आ गए हो। यहाँ के देवदार के जंगलो , विशाल सफेद बादल और प्रचुर हरियाली से तो आपका आँखे हटाने का ही मन नहीं करेगा ।

तत्तापानी
अगर आप प्रकृति के नज़ारे देखने के शौकीन हैं, तो यह जगह आपके लिए ही है। यह जगह मंडी से 91 कि.मी. दूर है । सतलज नदी के किनारे स्थित यह अनोखा गाँव अपने गर्म सल्फर कुंड के लिए लोकप्रिय है, इसलिए अगर आपको तनाव, जोड़ों में दर्द, थकान और त्वचा की कोई बीमारी है, तो इसके उपचार के पानी में डुबकी लगाना ना भूले ।

भूतनाथ मंदिर
मंडी से 108 कि.मी. दूर, यह हिमाचल प्रदेश के सबसे अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने वाले मंदिरों में से एक है। यह प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। आप चारों ओर सुंदर हाथी की आकृतियाँ और नक्काशीदार पत्थर के खंभे देख सकते हैं।

मंडी में कहाँ रुकें?

1. ए एम पी एम रिसोर्ट – यहाँ दो लोगो के रुकने का खर्च ₹3500 प्रति रात है, कीमत में मेहमानों का नाश्ता शामिल है ।

2. होटल वैलि व्यू - यहाँ दो लोगो के रुकने का खर्च ₹4000 प्रति रात है।

3. रिवर बैंक होटल - यहाँ दो लोगो के रुकने का खर्च ₹1265 प्रति रात है, कीमत में मेहमानों का नाश्ता शामिल है ।

4. सीजी होमस्टे – यह एक डोरमेट्री है जहाँ एक बेड की कीमत ₹900 है ।

क्या खाएँ

अगर आप खाने के शौकीन है तो कई नए जायकों से आपकी मुलाक़ात होगी जो आपका मन मोह लेंगे । मंडी मे आपको लगभग हर तरह के व्यंजन मिल जाएंगे और यहाँ खाना ज्यादा महंगा नही है । अगर आपको लोकल फूड खाना है तो आप यहाँ थुपका, मोमोस व बबरू, कद्दू का खट्टा, पटंडे खा सकते है । आपको यहाँ धाम, सिधु व ट्राउट भी खाने को मिल जाएगी । अगर आप नोनवेज के शौकीन है तो आप यहाँ निराश नहीं होंगे । यहाँ द ट्रीट रेस्तरां, कोपाकबाना बार एंड रेस्तरां, एकांत रेस्तरां, चावलास स्क्वायर, ब्लॅक पेपर रेस्तरां जैसे कई रेस्तरां है जो आपको स्वादिष्ट भारतीय, चीनी, तिब्बती और कॉन्टिनेंटल व्यंजन परोस सकते है ।




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