This is default featured slide 1 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.

This is default featured slide 2 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.

This is default featured slide 3 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.

This is default featured slide 4 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.

This is default featured slide 5 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.

Thursday, 16 July 2020

भारत की इस अद्भुत जगह को देखना हर मुसाफिर का सपना है!

भारत की इस अद्भुत जगह को देखना हर मुसाफिर का सपना है!
अलौकिक सौंदर्य के कारण ही लद्दाख को भारत के मुकुट के रूप में जाना जाता है। इस रेगिस्तानी क्षेत्र को प्यार से ‘द लास्ट शांगरी-ला’ नाम भी दिया गया है। यह नाम अपने आस-पास के परिवेश के अनुसार बिल्कुल सटीक है। लद्दाख के शुष्क पहाड़ों के बीच बसी स्थित नुब्रा घाटी जितनी ऊबर-खाबड़ है उतनी ही ऊँची भी है। बॉर्डर के दूर छोर से सटी ये जादुई और अछूती जगह आपका ध्यान आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।


( नुब्रा घाटी )
क्यों जाएँ नुब्रा घूमने?

प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर इस घाटी की भूरी नखलिस्तान, कठोर पहाड़ियाँ और जमा देने वाले ठंड इसे अनोखा और अद्भुत बनाते हैं। हैरान कर देने वाले नज़ारों से भरी ये रेगिस्तानी घाटी, नुब्रा और श्योक दो नदियों के बीच स्थित है। नुब्रा की रेतीली ज़मीन पर चलने के दौरान आप कपड़ों के कम से कम तीन परतों में ढ़के रहने के लिए तैयार रहें। यहाँ आप एक पर्यटक के रूप में एक अलग संस्कृति का अनुभव करेंगे। आप भी अगर ऐसे किसी ऑफ बीट और ऑथेंटिक अनुभव के लिए उत्सुक हैं तो नुब्रा पर आप जरूर फ़िदा हो जाएँगे।

कैसे पहुँचें?
हाल के दिनों में दुनिया के किसी भी हिस्से से लेह की यात्रा करना बहुत ही आसान हो गया है। इसका श्रेय 11,568 फीट की ऊँचाई पर स्थित कुशोक बकुला रिम्पोछे एयरपोर्ट को जाता है। आप दिल्ली से लेह के लिए उड़ान भर सकते हैं। फिर मनाली/स्पीती के रास्ते एक निजी वाहन या बस ले सकते हैं।


Day - 1
खर्दुंग ला होते हुए लेह से नुब्रा
आप जैसे ही लेह उतरते हैं तो कम से कम 48 घंटे तक आराम करने की सलाह दी जाती है। एक बार जब आप वहाँ के अनुकूल होकर निकलते हैं तो आप आसानी से नुब्रा घाटी की खूबसूरत सड़कों को देख सकते हैं।

नुब्रा घाटी जाने के लिए यात्रा का एकमात्र विकल्प सड़क मार्ग है। राष्ट्रीय राजमार्ग से आप खर्दुंग ला तक जा सकते हैं। खर्दुंग ला का रूट मुश्किल है इसलिए साहसी लोगों के लिए ये सबसे पहली पसंद है। 17,500 फीट की ऊँचाई पर स्थित यह दुनिया की सबसे ऊँची जगह है जहाँ की सड़क मोटर वाहन के लिए उपयुक्त है। खर्दुंग गाँव से होते हुए श्योक घाटी में पहुँचने पर वहाँ के घर और उनके बड़े-बड़े चारागाह आपको खुश कर देंगे।

नुब्रा की यात्रा को जारी रखने से पहले आप घाटी से थोड़ा आगे उत्तर पल्लू नामक स्थान पर पहुँचेंगे। दोपहर के भोजन के लिए यह बेस्ट जगह है, जहाँ आप घर का बना स्वादिष्ट लद्दाखी भोजन, थुक्पा और मोमो का आनंद ले सकते हैं। घाटी के करीब पहुँचने पर दोनों तरफ से रेत के टीलों के साथ सुनसान सड़क आपका स्वागत करेगी। इसके बाद आप सबसे पहले डिस्टिक शहर पहुँचेंगे जहाँ आप रात के वक्त ठहर सकते हैं।



Day - 2

डिस्किट और हंडर
डिस्किट नुब्रा का व्यापारिक केंद्र है, जो सामान्य लेकिन बहुत ही पसंदीदा गाँव है। शांतिप्रिय वातावरण के शौकीन लोग डिस्किट से 10 कि.मी. पश्चिम में हंडर के सुंदर मैदानी इलाके की यात्रा कर सकते हैं। यहाँ आप दो कूबड़ वाले ऊँटों को देखेंगे, जो पहाड़ों और श्योक नदी के बीच चरते हुए दिखेंगे। यहाँ पर्यटक टिब्बा पर लटकते हुए ऊँटों को देखने के साथ आरामदायक कैफे में कॉफी पीने का आनंद लेते हैं और ये अनुभव हमेशा यादगार रहता है।


Day - 3
तुतुर्क पब्लिक हाथ सैंटर

भारत के विभिन्न राज्यों में बॉर्डर है लेकिन वो बॉर्डर सबसे पसंदीदा होते हैं जिनमें शानदार हिमालय सबको आकर्षित करती हैं। ऐसा ही एक सीमावर्ती गाँव तुतुर्क है जिसे पर्यटकों के लिए हाल ही में खोला गया है। श्योक घाटी के फैलाव पर स्थित तुतुर्क गाँव जो धीरे-धीरे पाकिस्तान की तरफ जाता है। हंडर से 90 कि.मी. की दूरी पर स्थित यह गाँव आपके दिन की यात्रा को बेहतर बनाएगा। सांस्कृतिक परिवर्तन की गवाह के रूप में आप हंडर की बौद्ध घाटियों से तुतुर्क की सीमाओं तक जाएँगे।

ट्रैवल टिप्स
 परिवहन: लेह-नुब्रा रूट में रोज़ाना ही नियमित रेगुलर और एसी बसें चलती हैं। बसें लेह से डिस्किट (कभी-कभी तुतुर्क) को जोड़ती हैं। लेह से डिस्किट तक की यात्रा आप सिर्फ ₹400 में कर सकते हैं। नुब्रा में आप उस क्षेत्र में घूमने के लिए टैक्सी ले सकते हैं। याद रहे कि लद्दाख क्षेत्र में टैक्सी का किराया लगभग तय ही रहता है यानी बातचीत से किराया कम होने की गुंजाइश ना के बराबर रहती है।

परमिट: भारतीय और विदेशी सभी नागरिकों को नुब्रा घाटी की यात्रा करने के लिए प्रोटेक्टेड एरिया परमिट (PAP) की ज़रूरत पड़ती है। इस परमिट के लिए आप लेह के जिला आयुक्त ऑफिस या फिर अधिकृत ट्रैवल एजेंट के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। खारदुंगला में प्रवेश करने से पहले परमिट की जाँच की जाती है। नुब्रा की विभिन्न चौकियों के लिए पर्यटकों को प्रोटेक्टेड एरिया परमिट की बहुत सारी प्रतियाँ रखना ज़रूरी होता है।
आवास: डिस्किट और हंडर में बहुत सारे होटल, होम स्टे, रिसॉर्ट और टेंट की भी सुविधा उपलब्ध है। यहाँ गेस्ट हाउस का किराया ₹1500 या फिर उससे ज्यादा है। लेकिन मौसम के हिसाब से इसकी कीमत कम या ज्यादा होती रहती है।

यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय

ठंड के मौसम में खर्दुंग ला दुर्गम होने की वजह से नुब्रा जाना मुश्किल हो जाता है क्योंकि इसके सिवाय नुब्रा जाने का दूसरा और कोई रास्ता नहीं है। इसका मार्ग मई महीने से खुलने के बाद पर्यटकों को वहाँ जाने की अनुमित मिलती है। नुब्रा के लिए सितंबर से मई तक का महीना सबसे बढ़िया होता है क्योंकि इस दौरान वहाँ धूप के साथ-साथ सर्द रातें भी होती है।

नुब्रा घाटी तो पृथ्वी पर मानों स्वर्ग है और ये आपकी लिस्ट में ज़रूर होनी चाहिए। यह जगह आपके मन में बार-बार वहाँ जाने की लालसा छोड़ देगी। अब तो आपके पास यात्रा का कार्यक्रम तैयार है तो फिर देर किस बात की है, बैग पैक करें और यात्रा पर निकल जाएँ।



दोस्तों हम आपको भारत 😍 की सबसे खूबसूरत जगहों के बारे में बताते हैं हमारे पेज से जुड़ें ओर अपने मित्रों को भी जोड़ें कुदरत की खूबसूरती को निहारे😍☺️
🙏🙏🙏🙏🌹


https://www.facebook.com/शुभ-शगून-Tourism-100945788355366/


शुभ शगुन टूरिज़म
9873628683
Share:

हिमाचल प्रदेश मैं कम खर्च में रहने का जुगाड़ कैसे? बस पढ़िए!

हिमाचल प्रदेश मैं कम खर्च में रहने का जुगाड़ कैसे? बस पढ़िए!
लंबा वीकेंड या बस कोई छुट्टी आने की देर है कि मैं, और शायद आप में से भी कई सारे लोग, "चलो हिमाचल चलें! " के नारे के साथ हिमाचल के लिए अपने बैग पैक कर लेते हैं। अब क्या करें, हरे-भरे पेड़ों की आढ़ में छुपे बर्फिले पहाड़ के नज़ारे, चेहरे को ताज़ा करती ठंडी हवा और हाथ में गरमा-गरम चाय की प्याली, ये सब सोच कर रुका भी तो नहीं जाता। अब साल में इतनी बार हिमालचल के चक्कर लगाने हैं तो ज़रा जेब को भी तो संभालना पड़ेगा ना? तो आप तो हिमाचल प्रदेश की वादियों का मज़ा लें, मैं आपके लिए यहाँ कम खर्च में रहने का जुगाड़ कर देता हुँ कैसे? बस पढ़िए!


 हिमाचल में छुट्टियाँ बिता रहे हैं तो यहाँ रुकें

1. मनाली
बैकपैकर पांडा हॉस्टेल
अगर कमरे की खिड़की खोलते ही पहाड़ों के नज़ारे चाहिए तो ओल्ड मनाली में बना बैकपैकर पांडा हॉस्टेल चुनें। मज़े की बात तो ये है कि यहाँ पर एक बंक बेड का किराया सिर्फ 209 रुपए से शुरू हो जाता है! हालांकि आपको ये कमरा शेयरिंग बेसिस पर मिलता है और हॉस्टेल थोड़ी ऊँचाई पर है।

पता- एप्पल कंट्री रिजॉर्ट के पीछे, लॉग हट्स, ओल्ड मनाली

2. ज़ॉस्टल मनाली
सुंदर हॉस्टेल और बढ़िया लोग, ज़ॉस्टल मनाली इन दोनों शर्तों पर खरा उतरता है। यहाँ पर शेयरिंग बेसिस पर मिलने वाले एक बंक बेड का किराया 500 रुपए से शुरू होता है।

पता- मनु टेंपल रोड, ओल्ड मनाली


3. टिंंबरवोल्व्स, हिमाचल प्रदेश
बजट में अच्छा कमरा, सुविधाएँ और बेहतरीन नज़ारा, ये सभी चीजें आपको इस होटेल में मिल जाती हैं। मनु मंदिर से बस कुछ मीटर की दूरी पर बने इस होटेल में एक रात का किराया 600 रुपए से शुरू होता है।

पता- मनु मंदिर के पास, ओल्ड मनाली



2. स्प्रिंग हाउस, हिमाचल प्रदेश
ये होटेल घूमने की जगहों से तो पास है ही , साथ ही कमरे साफ और बड़े होने की वजह से सैलानियों को पसंद भी आते हैं। स्प्रिंग हाउस में एक रात का किराया 765 रुपए से शुरू होता है। इस होटल में फैमिली रूम भी लिया जा सकता है।

पता- हडिंबा देवी मंदिर रोड, DPS मनाली के पास



शिमला 
1. एग्जॉटिक नैचुरल्स गेस्ट हाउस, हिमाचल प्रदेश
अगर आपको सोलो ट्रिप पर हैं, या अपने लड़के दोस्तों के साथ शिमला घूमने जा रहे हैं और होटल बस रात को आराम करने के लिए चाहिए तो इस गेस्ट हाउस को चुन सकते हैं। बजट के हिसाब से आपको सुविधाएँ तो यहाँ सब मिलेंगी, लेकिन प्राइवसी की उम्मीद मत रखिएगा क्योंकि कमरा शेयरिंग बेसिस पर मिलता है। यहाँ एक व्यक्ति का किराया 300 रुपए से शुरू होता है।

पता- 25,गंज रोड, लोअर बाज़ार, शिमला



2. डॉल्फिन कॉटेज, शिमला
 अगर आपके पास घूमने के लिए अपनी गाड़ी है, या शहर से थोड़ी दूरी पर रहने में कोई परेशानी नहीं है तो डॉल्फिन कॉटेज चुन सकते हैं। यहाँ पर एक रात का किराया 530 रुपए से शुरू होता है, और आप यहाँ से सुबह होते ही पहाड़ों के नज़ारों का आनंद ले सकते हैं।

पता- लोअर संगिती, हिमाचल प्रदेश युनिवर्सिटी के पास,समर हिल शिमला.



3. बैकवुड्स बी एन बी
बजट में सभी सुविधाएँ और बढ़िया लोकेशन ढूंढ रहे हैं तो बैकवुड्स बी एन बी को चुन सकते हैं। ये होटल बस स्टैंड के पास है और एक रात का किराया 780 रुपए से शुरू होता है।

पता- चार्ली विला, रोशन निवास, मिलसिंगटन एस्टेट, छोटो शिमला, शिमला



4. होटल बसंत
मॉल रोड और घूमने की बाकी जगहों से करीब अगर कोई होटल चाहते हैं तो होटल बसंत में ठहर सकते हैं। एक साफ-सिंपल कमरे के लिए आपको एक रात के लिए 764 रुपए किराया चुकाना होगा।

पता- वॉर्ड नं. 11, कार्ट रोड, श्री गुरुद्वारा सिंह सभा, शिमला



धर्मशाला
1. होबो हॉस्टल
ये बजट हॉस्टेल एयरपोर्ट और HPCA स्टेडियम दोनों से ही करीब है। यहाँ पर एक बंक बेड का किराया 425 रुपए है। आप चाहे तो एक्सट्रा कीमत देकर नाश्ता भी कर सकते हैं।

पता-खानयारा रोड, धर्मशाला



2. होटल स्काई पाई
अगर आप धर्मशाला के साथ मैक्लॉडगंज घूमना का भी प्लान बना रहे हैं तो होटल स्काई पाई में रुक सकते हैं। इस हॉस्टल में आपको शेयरिंग बेसिस पर बेड मिलते हैं जिनका किराया 449 रुपए से शुरू होता है।

पता- भगसुनाग, गल्लू देवी मंदिर के पास, मैक्लॉडगंज, धर्मशाला



3. होटल दिव्यांश
भागसु फॉल्स से बस 1 कि.मी. की दूरी पर बने इस होटेल में एक रात का किराया 871 रुपए से शुरू हो जाता है। यहाँ से आप सुबह होते ही बर्फ से ढके पहाड़ों के नज़ारे देख पाएंगे।

पता- नडडी गाँव को जाती सड़क पर, नड्डी, मैक्लॉडगंज, धर्मशाला



4. पाइन स्प्रिंग
पहाड़ों में खुलती बालकनी और माउंटेन व्यू यहाँ के कमरों की खासियत है और ये होटल आपके बजट में भी फिट बैठेगा। यहाँ एक कमरे का किराया 880 रुपए शुरू होता है। अगर आपको कमरा शेयर नहीं करना है तो इसके लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी।

पता- जोगीवारा रोड, मैक्लॉडगंज


तो चलिए ठहरने का प्लान तो बन गया, अब आप कब निकल रहे हैं हिमाचल के लिए ?




दोस्तों हम आपको भारत 😍 की सबसे खूबसूरत जगहों के बारे में बताते हैं हमारे पेज से जुड़ें ओर अपने मित्रों को भी जोड़ें कुदरत की खूबसूरती को निहारे😍☺️
🙏🙏🙏🙏🌹


https://www.facebook.com/शुभ-शगून-Tourism-100945788355366/


शुभ शगुन टूरिज़म
9873628683
Share:

आपको भारत के उन 9 गुरुद्वारों के बारे में बताता हूँ जहाँ अध्यात्मिक शांति के साथ-साथ खूबसूरत वास्तुकला और स्वादिष्ट लंगर का अनोखा संगम होता है।

आपको भारत के उन 9 गुरुद्वारों के बारे में बताता हूँ जहाँ अध्यात्मिक शांति के साथ-साथ खूबसूरत वास्तुकला और स्वादिष्ट लंगर का अनोखा संगम होता है।
लंगर, गुरुद्वारा में एक मुफ्त सामुदायिक रसोई का कॉन्सेप्ट है, जहाँ बिना किसी सांपद्रायिक भेदभाव के, हर किसी को बड़े सम्मान के साथ खाना परोसा जाता है। लंगर स्वेच्छा से सेवा करना सिखाता है, जो एक अहम संसकार है। ढेर सारे प्यार में घुला हुआ और हथेली भर आशीर्वाद के साथ परोसा गया गुरुद्वारे का बेहद सरल खाना भी मानों जन्नत का स्वाद में लिपटा होता है। चलिए आपको भारत के उन 9 गुरुद्वारों के बारे में बताता हूँ जहाँ अध्यात्मिक शांति के साथ-साथ खूबसूरत वास्तुकला और स्वादिष्ट लंगर का अनोखा संगम होता है।


1. गुरुद्वारा पत्थर साहिब
लेह के लद्दाख और जांस्कर पर्वतमाला में बसे इस गुरुद्वारा का रख-रखाव यहाँ तैनात भारतीय सेना के कर्मचारी करते हैं। गुरु नानकजी की याद में बना ये गुरुद्वारा यह शांति और आध्यात्मिकता का अनुभव कराता है। यह एक बहुत ही अनोखा और शांत गुरुद्वारा है जो हाईवे के ठीक सामने है और कई ट्रेक भी इस के आस-पास से शुरू होते हैं। यह गुरुद्वारा शून्य से नीचे के तापमान में भी गरमा-गरम खाने के साथ लोगों का स्वागत करता है।अगर आप चाहें तो आप खाना बनाने या परोसने की सेवा भी कर सकते हैं।

यहाँ दिन में हर समय चाय और नाश्ता मिलता है और लंगर में साधारण भोजन शामिल होता है । लेकिन हर चीज़ का स्वाद लाजवाब होता है! लंगर को आमतौर पर हर दिन दोपहर 12:30 बजे परोसा जाता है।

गुरुद्वारे से जुड़ी कहानी: 1970 में, लेह-निमू सड़क के निर्माण के दौरान, श्रमिकों को सड़क के बीच बौद्ध प्रार्थना झंडे से लिपटा एक बड़ा सा पत्थर मिला। बुलडोजर के ज़रिए इस पत्थर को रास्ते से हटाने की कोशिश की गई लेकिन पत्थर हिला तक नहीं। इसके बाद कुछ बोद्ध लामाओं और लद्दाखियों ने यहाँ आकर बताया कि ये साँचा उनके लामा नानक का था। कहानी ये थी कि एक राक्षस ने नानक को मारने के लिए इस पत्थर को उन पर गेरा लेकिन वो पत्थर नानक से टकराते ही वो पत्थर मोम की तरह नानक की शरीर की छाप लेकर वहीं रुक गया। ये छाप आज भी उस पत्थर पर देखी जा सकती है।

कहाँ है गुरुद्वारा पत्थर साहिब: लेह से लगभग 25 कि.मी दूर, NH 1D, फेय, जम्मू और कश्मीर 194101 



2. गुरुद्वारा बंगला साहिब
विशाल स्वर्ण गुंबद, सफेद संगमरमर की दिवारें और उन पर पूरे भारत के कारीगरों द्वारा बनाई गई जटिल नक्काशी से सजा गुरुद्वारा बंगला साहिब पूरे दिल्ली की शान है।

वैसे तो ये गुरुद्वारा चाय और नाश्ते के लिए 24 घंटे खुला है, लेकिन लंगर सुबह 11.00 बजे से 4.00 बजे और शाम 7.30 से 11.00 बजे के बीच परोसा जाता है। आप रसोई में जाकर सब्ज़ियों को छीलते, काटते, उन्हें पकाते और परोसते लोगों के बीच यहाँ कि एनर्जी देख और फील कर सकते हैं। नीचे की ओर बड़े-बड़े बर्नर पर भारी मात्रा में खाना पकाया जाता है। खाना परोसने और खाने दोनों के लिए यहाँ आपका स्वागत है।

हर दिन औसतन 25,000 लोगों को मुफ्त भोजन परोसा जाता है। भोजन में दाल-चवाल, सब्ज़ी-रोटी और खीर शामिल हैं। घी और सूखे मेवों से भरा 'कड़ा प्रसाद' भी बाँटा जाता है।
गुरुद्वारे से जुड़ी कहानी: शुरुआत में एक राजा जय सिंह के बंगले के तौर पर बनी इस जगह पर, आठवें सिख गुरू, गुरू हरकृष्ण यहाँ कुछ समय के लिए ठहरे थे। उस वक्त चैचक और हैजा की महामारी फैली हुई थी जिससे बिमार हुए लोगों को गुरू हरकृष्ण ने चमत्कारी रूप से ठीक कर लोगों की मदद की। माना जाता है कि सरोवर का पानी आज तक बिमारियों को ठीक करने की शक्ति रखता है और दुनिया भर के सिखों यहाँ का पानी अपने घरों में लेकर जाते हैं।

कहाँ है गुरुद्वारा बंगला साहिब: हनुमान रोड एरिया, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली



3. तख्त श्री पटना साहिब
तख्त श्री पटना साहिब सिख धर्म के सबसे प्रतिष्ठित गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह का जन्म स्थान है। प्राचीन संगमरमर से बना गुरुद्वारा दिन के किसी भी समय शानदार दिखता है। सूर्यास्त के बाद, पूरे गुरुद्संवारे को लाइटों की रोशनी में जगमगा जाता है जिसका नज़ारा आपका दिल छू लेगा।

 लंगर शाम 7.30 बजे शुरू होता है और परोसा गया खाना बेहद स्वादिष्ट। देश भर से लोग यहाँ आध्यात्म तलाशने आते हैं।
गुरुद्वारे से जुड़ी कहानी: पटना साहिब गुरुद्वारा को सिखों के पाँच तख्तों में से एक माना जाता है। गुरु नानक के एक उत्साही भक्त, सालिस राय जौहरी ने अपनी भव्य हवेली को एक धर्मशाला में बदल दिया जहाँ गुरु तेग बहादुर और गुरु गोबिंद सिंह भी रुके थे।


कहाँ है गुरुद्वारा पटना साहिब: पटना से 15 कि.मी. की दूरी पर, तख्त श्री हरमंदिर जी, पटना साहिब, पटना।



4. गुरुद्वारा पांवटा साहिब
यमुना नदी के किनारे स्थित यह गुरुद्वारा सिखों के लिए दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी की याद में बना एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक गुरुद्वारा है। आसन बैराज और उफान भरती यमुना के नजारे इस गुरुद्वारे को और भी दिव्य बना देते हैं।

शबद की शांत आवाज़ो के बीच 24 घंटे परोसे जाने वाले लंगर का ये अनुभव कभी भुलाया नहीं जा सकता।
गुरुद्वारे से जुड़ी कहानी: पांवटा का अर्थ है पैर। इसलिए, गुरुद्वारा पांवटा साहिब उस जगह पर स्थित है, जहाँ16 वर्षीय गुरु गोबिंद सिंह ने सिरमौर साम्राज्य ने पहली बार पैर रखा था। गुरु गोविंद सिंह जी ने दशम ग्रंथ भी यहीं लिखा था। पोंटा साहिब को यमुना नदी के किनारे गुरु गोविंद सिंह जी और उनके परिवार के लिए एक किले रूपी घर के तौर पर बनाया गया था।


कहाँ है गुरुद्वारा पांवटा साहिब: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में। कोर्ट रोड, पांवटा साहिब, हिमाचल प्रदेश



5. तख्त श्री केशगढ़ साहिब
तख्त श्री केशगढ़ साहिब, शिवालिक पर्वत के किनारे स्थित है। पास में ही सतलुज नदी बहती है। यह वह जगह है जहाँ अंतिम दो सिख गुरु रुके थे और जहाँ गुरु गोविंद सिंहजी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। यह सिखों के सबसे पवित्र माने जाने वाले पाँच स्थानों में से एक है और पाँच अहम तख्तों में से एक भी है। सफेद रंग में रंगा गुरुद्वारे का मुख्य भवन बहुत विशाल है और काफी उँचाई पर बना हुआ है। यहाँ से गाँव का मंत्रमुग्ध करने वाला दृश्य दिखाई देता है।

तख्तों में से एक होने के नाते, यहाँ पर परोसा जाने वाला लंगर यहाँ कि आध्यात्मिक शक्ति से भरा हुआ होता है।
गुरुद्वारे से जुड़ी कहानी: यह शहर चक्क नानकी के रूप में शुरू हुआ था, जिसे 1665 में गुरु तेग बहादुर जी ने स्थापित किया था। उनके बेटे, गुरु गोबिंद सिंह जी ने भी अपने जीवन के 25 साल इस शहर में बिताए। श्री केशगढ़ साहिब किला 1699 में बनाया गया था। पड़ोसी पहाड़ी सेनाओं ने कई बार श्री आनंदपुर साहिब पर हमला किया, लेकिन श्री केसगढ़ साहिब की अभेद की बनावट के कारण वो हर बार असफल रहे।

कहाँ है गुरुद्वारा श्री केशगढ़ साहिब: आनंदपुर साहिब, पंजाब के शहर के केंद्र में स्थित है।



6. श्री हेमकुंट साहिब
शहर की हलचल से दूर, श्री हेमकुंट साहिब जी का नज़ारा आपकी देखकर शायद आपकी साँसे कुछ देर के लिए थम जाएँ। चारों तरफ बर्फीले पहाड़ों से घिरा हुआ है ये गुरुद्वारा मन को एक अलग ही शांति देता है। यह जगह हिमालय में लगभग 4650 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और ऋषिकेश से लगभग 275 कि.मी. दूर है और आप बस या कार से यहाँ पहुँच सकते हैं। गुरुद्वारे के पास ही एक झील भी है, जिसमें जादुई गुण होने की बात कही जाती है।

क्योंकि यह एक पहाड़ी पर बना हुआ है इसलिए हेमकुंट साहिब तक चढ़ाई करने में थोड़ी मशक्कत लगती है, खासकर सर्दियों में। हालांकि, गुरुद्वारे पहुँच कर आप गरमा-गरम चाय और स्वादिष्ट लंगर का आनंद ले सकते हैं। यहाँ तक ​​कि खिचड़ी और सब्जी जैसे सरल भारतीय भोजन का स्वाद चखकर भी आप उंगलियाँ चाटते रह जाएँगे। और ये सिर्फ गुरुद्वारों में ही मुमकिन है!

गरुद्वारे से जुड़ी कहानी: दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने अपनी आत्मकथा में, उँचे पहाड़ों से घिरी एक झील का ज़िक्र किया था, जहाँ उन्होंने पिछले जन्म में ध्यान किया था। इस बात को मानते हुए करीब 200 साल बाद, भारतीय सेना के एक ग्रंथी संत सोहन सिंह ने यह जगह ढूंढ निकाली और यहाँ गुरुद्वारा बनवाया गया। यहाँ पर सिखों के शाश्वत शास्त्र गुरु, गुरु ग्रंथ साहिब को भी रखा गया है।

कहाँ है श्री हेमकुंट साहिब: गोविंदघाट, जोशीमठ, चमोली जिला, उत्तराखंड। यह तिब्बत और नेपाल की सीमा से लगे उत्तराखंड में स्थित है, यहाँ केवल जून और अक्टूबर के बीच पहुँचा जा सकता है।



7. गुरुद्वारा मणिकरण साहिब जी
पहाड़ों के बीच, नदी के किनारे, एक खूबसूरत नज़ारे के बीच बना इस गुरुद्वारे के अंदर एक गुफा मौजूद है। यहाँ तक ​​कि बेहद कम तापमान में भी आपको इस गुफा में गर्म पानी के सोते मिल जाएँगे, जिसका उबलता पानी आपके शरीर को एक अनोखी ठंडक देता है।

परोसा गया लंगर हद से ज्यादा स्वादिष्ट होता है जो आपकी भूख को पूरी तरह शांत कर देता है।
गुरुद्वारे से जुड़ी कहानी: तीसरी उदासी के दौरान, गुरु नानक अपने शिष्य भाई मर्दाना के साथ इस स्थान पर आए थे। मर्दाना को भूख लगी और उनके पास कोई भोजन नहीं था। गुरु नानक ने मर्दाना को भोजन इकट्ठा करने के लिए भेजा। लेकिन समस्या यह थी कि खाना बनाने के लिए आग नहीं थी। गुरु नानक ने मरदाना से कहा कि वह भोजन गर्म सोतों में डाले और भगवान से प्रार्थना करे। चमत्कारी रूप से, रोटी और दाल डूबने की बजाय, पूरी तरह पक कर पानी पर तैरने लगे।

कहाँ है गुरुद्वारा मणिकरण साहिब: हरि हर घाट, मणिकरण रोड, जिला कुल्लू।



8. तख्त सचखंड श्री हुजुर अबचल नगर साहिब गुरुद्वारा
सिख धर्म के पाँच तख्तों में से एक ये गुरुद्वारा महाराष्ट्र राज्य के नांदेड़ शहर में गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। यह गुरुद्वारा उसी स्थान पर बनाया गया है जहाँ गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपना सांसारिक जीवन छोड़ा था।

गुरुद्वारा धर्म, जाति और पंथ के से परे, लोगों को 24 घंटे लंगर और मुफ्त आवास प्रदान करता है।
गुरुद्वारे से जुड़ी कहानी: हजूर साहिब उस जगह पर बना है जहाँ गुरु गोबिंद सिंह ने 1708 में अपना शिविर लगाया था। यहीं पर गुरु गोविंद सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। यहाँ सिखों ने मंच के ऊपर एक कमरा बनाया जहाँ गुरु गोबिंद सिंह अपना दरबार लगाते थे और वहीं पर गुरु ग्रंथ साहिब को स्थापित कर इसे तख्त साहिब का नाम दिया गया।

कहाँ है अबचल नगर साहिब गुरुद्वारा: गुरुद्वारा रोड, शारदा नगर, हैदर बाग, दशमेश नगर, हर्ष नगर, नांदेड़, महाराष्ट्र।



9. स्वर्ण मंदिर
सबसे प्रसिद्ध गुरुद्वारा, स्वर्ण मंदिर, जिसे दरबार साहिब या श्री हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है, ना सिर्फ हर सिख के लिए मायने रखता है, बल्कि हर मुसाफिर की लिस्ट में भी ज़रूर शामिल होता है। मंदिर में लगा सोना मानों यहाँ के सेवकों के दिल का प्रतीक है।

स्वर्ण मंदिर का लंगर हर दिन 50,000 लोगों की भारी संख्या की सेवा करता है। खास अवसरों पर ये संख्या अक्सर 100,000 तक जाती है। ज़यादातर काम करने वाले कर्मचारी में स्वयंसेवक शामिल हैं जो 300 स्थायी सेवादारों के साथ, यह सुनिश्चित करते हैं कि लगंर को ठीक से पकाया और समय पर परोसा जाए।

बड़ी संख्या के बावजूद, गुरुद्वारा में कभी भी स्वच्छता और गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जाता है।
गुरुद्वारे से जुड़ी कहानी: सिखों के पाँचवें गुरु साहिब ने यहाँ की संरचना तैयार की। श्री दरबार साहिब में हर दिशा में चार प्रवेश द्वार हैं, जो ये दर्शाते हैं कि गुरुद्वारे में हर किसी का स्वागत है। गुरुद्वारा बनने के कुछ दशकों में, गुरुद्वारा पर हमला हुआ जिससे काफी नुकसान पहुँचा, जिसे वक्त के साथ ठीक कर लिया गया है। महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के ऊपरी हिस्से पर सोने की परत चढ़वाई थी।

गुरुद्वारा एक प्रार्थना स्थल होने के साथ एक ऐसी जगह भी हैं जहाँ आप अध्यात्म के ज़रिए खुद से जुड़ते हैं, और एक अद्भुत शांति महसूस करते हैं। गुरुद्वारे में सेवा करना एक अलग ही अनुभव है।

कहाँ है स्वर्ण मंदिर: स्वर्ण मंदिर रोड, अट्टा मंडी, कटरा अहलूवालिया, अमृतसर।




दोस्तों हम आपको भारत 😍 की सबसे खूबसूरत जगहों के बारे में बताते हैं हमारे पेज से जुड़ें ओर अपने मित्रों को भी जोड़ें कुदरत की खूबसूरती को निहारे😍☺️
🙏🙏🙏🙏🌹


https://www.facebook.com/शुभ-शगून-Tourism-100945788355366/


शुभ शगुन टूरिज़म
9873628683
Share:

Labels

About me


Contact us :-

शुभ शगुन टूरिज़म

Pawan Kashyap
whatsapp no. +91 9873628683

Labels

Blogger templates