This is default featured slide 1 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.

This is default featured slide 2 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.

This is default featured slide 3 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.

This is default featured slide 4 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.

This is default featured slide 5 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.

Tuesday, 7 July 2020

4200 मीटर की ऊंचाई से दिखाई देती है छिपला_केदार की अद्भुत खूबसूरती

4200 मीटर की ऊंचाई से दिखाई देती है  छिपला_केदार की अद्भुत खूबसूरती
 छिपला केदार, जो कि पिथौरागढ़ जिले में है।  पिथौरागढ़ समुद्र तल से 1,645 मीटर की ऊंचाई पर है और उत्तराखंड का क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से तीसरा सबसे बड़ा जनपद है।
इस जिले में नंदा देवी, त्रिशूल, राजरंभा, पंचाचूली व नंदाखाट आदि हिमालयी चोटियां, मिलम, रालम व नामिक ग्लेशियर तथा विशाल गोल्फ कोर्स, खूबसूरत पहाड़ व घास के मैदान-बुग्याल पिथौरागढ़ की खूबसूरती को बढ़ाते हैं। इसके अलावा पिथौरागढ़ के इर्द-गिर्द चार कोटें यानी किले मौजूद हैं, जिन्हें भाटकोट, डूंगरकोट, उदयकोट तथा ऊंचाकोट के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि कभी यहां सात सरोवर स्थित थे, जिनके सूखने से अब यह क्षेत्र पहाड़ी घाटी के रूप में बदल गया है।

छिपला केदार के बारे में
समुद्र तल से लगभग 4200 मीटर की ऊंचाई पर बरम कस्बे से लगभग 50-55 किलोमीटर की कठिन पैदल चढ़ाई के बाद छिपला कोट में यह बुग्याल क्षेत्र प्राकृतिक सुंदरता के साथ देवी-देवताओं का निवास स्थान भी माना जाता है। जिस वजह से भगवान केदार के नाम से इसे छिपला केदार नाम से भी जाना जाता है। माता मैणामाई और पिता कोडिया नाग से जन्म लेने वाले केदार देवता दस भाई-बहन थे। तीन भाइयों में केदार सबसे छोटे थे। उदैण और मुदैण भाई और होकरा देवी, भराड़ी देवी, कोडिगाड़ी देवी, चानुला देवी, नंदा देवी, कालिका देवी, कोकिला देवी बहनें थी। बहनों में कोकिला देवी सबसे छोटी थी। कोकिला देवी, छिपला कोट के हृदय में स्थित गांव कनार में विराजमान हैं। छिपला जात यात्रा कोकिला कनार मंदिर से शुरू होती है।
दस हजार फुट की उंचाई पर स्थित गारापानी से आगे बढ़ने पर दो खूबसूरत झील सिन्स्यामिन्सया नजर आती हैं। इस सरोवर में जनजातीय लोग सामूहिक पूजा करते हैं, जिसे जात कहा जाता है।आगे बुग्यालों में सालम पंजा, कुटकी, मीठा, कीडा-जड़ी, डोलू, टाटरी जैसी विभिन्न जड़ी-बूटियां यहां मौजूद हैं। इन्हीं बुग्यालों से शुरू होता है आकर्षक ब्रह्मकमल का मैदान। खम्पाधार जिसे जारचौर भी कहते हैं एक महत्वपूर्ण पूजा स्थल है। जहां पूजा अर्चना कर ब्रह्मकमल अर्पित किया जाता है। यहां से आगे का मार्ग काफी कठिन है। इस तीखीधार से धीरे-धीरे नीचे उतरने के बाद सामने के टीले पर चढ़ते ही पर्यटक अपने को झीलों से घिरा पाते हैं।
छिपला केदार पर की जाने वाली पूजा
छिपला केदार जाने के लिए सबसे पहले सेराघाट से जाना पड़ता है, जिनका ब्रतपन या जनेऊ होना होता है, उन्हें घर से ही नगे पांव पैदल जाना होता है। अन्य श्रद्धालु चप्पल पहन कर जा सकते हैं, बिना ब्रतपन वालों को छिपाला केदार जाने की अनुमति नहीं होती है। जनेऊ वाले घर से सफ़ेद कपडे पहनकर गले मे घंटी लगाकर, भकोर बजाते हुवे छिपला केदार की तरफ रास्ते भर शंख बजाते हुए जाते हैं। रास्ते में देवी देवता भी अवतरित होते रहते हैं। इस मंदिर में कोई बाहरी सामान नहीं ले जा सकते हैं। इसके अलावा चमड़े का सामान ले जाना भी मना होता है, फिर चाहे वह पर्स या बेल्ट ही क्यों न हो। फल को छोडकर ​अन्य किसी भी तरह की खाद्य सामग्री को भी मंदिर में लाना मना है।

यहां कैसे पहुंचें – 

दिल्ली से मुनस्यारी की दूरी लगभग 543 किलोमीटर है और नैनीताल से 260 किलोमीटर है। दिल्ली से मुनस्यारी की यात्रा रेल, बस या टैक्सी के माध्यम से की जा सकती है। यहां से छिपला केदार ट्रेक की शुरूआत की जाती है।



दोस्तों हम आपको भारत 😍 की सबसे खूबसूरत जगहों के बारे में बताते हैं हमारे पेज से जुड़ें ओर अपने मित्रों को भी जोड़ें कुदरत की खूबसूरती को निहारे😍☺️
🙏🙏🙏🙏🌹


https://www.facebook.com/शुभ-शगून-Tourism-100945788355366/


शुभ शगुन टूरिज़म
9873628683
Share:

आप भी अगर प्रदूषण या अपनी रोज़ाना की भाग-दौड़ से ऊब चुके हैं तो ताज़ी हवा के लिए आप जयपुर के ट्री हाउस रिजॉर्ट का रुख कर सकते हैं।

आप भी अगर प्रदूषण या अपनी रोज़ाना की भाग-दौड़ से ऊब चुके हैं तो ताज़ी हवा के लिए आप जयपुर के ट्री हाउस रिजॉर्ट का रुख कर सकते हैं।

धूल और बढ़ते प्रदूषण के कारण पिछले कई महीनों से देश की राजधानी दिल्ली में लोग साफ नीला आसमान देखने को तरस गए हैं। फ्रेश आवोहवा सबके के लिए बेहद ज़रूरी हो गई है। ऐसे में शहर से निकलकर तरोताजा होने को लेकर क्विक टिप्स के तौर पर मैं एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहा हूँ जो वाकई सुकून देने वाली हो सकता है। दिल्ली से मात्र 5 घंटे की दूरी पर स्थित एक रिजॉर्ट है जहाँ मेहमानों के लिए तमाम तरह की सुविधाएँ मौजूद हैं। इस शानदार जगह पर मिनी वाटरफॉल, प्राकृतिक हरे-भरे मैदान के अलावा खूबसूरत दृश्यों वाले पानी से भरे कॉटेज भी हैं। आप भी अगर प्रदूषण या अपनी रोज़ाना की भाग-दौड़ से ऊब चुके हैं तो ताज़ी हवा के लिए आप जयपुर के ट्री हाउस रिजॉर्ट का रुख कर सकते हैं।


जयपुर ट्री हाउस रिजॉर्ट 
क्यों जाएँ यहाँ?
ये ट्री हाउस रिज़ॉर्ट स्यारी घाटी के नेचर फार्म में स्थित है। यहाँ से आकर्षक अरावली और लकड़ी से बनी कई सारी इमारतों का दृश्य मेडिटेशन, पढ़ने और आराम फरमाने के लिए एक बढ़िया जगह मानी जाती है। यहाँ स्विमिंग पूल, जंगल सफारी, गोल्फ कोर्स, एवियरी स्पा, क्वाड बाइक, प्राकृतिक पार्क के साथ ही वाईफाई सुविधाओं से परिपूर्ण माहौल मिलता है जो कि पूरे परिवार के लिए परफेक्ट है। अपने परिवार या दोस्तों के साथ अगर आप किसी शांतिपूर्ण वीकेंड की तलाश कर रहे हैं तो ये जगह आपके लिए बेस्ट है।

क्या कुछ है ख़ास

ये ट्री हाउस रिजॉर्ट अवार्ड विनिंग जगह है जो कि बेहतरीन और जिम्मेदारीपूर्ण हॉस्पिटालिटी के लिए मशहूर है। प्रकृति की गोद में इसके आरामदायक और किफायती कमरे आराम करने के लिए हर सुविधा से लैस हैं। ये संपूर्ण जगह जीवन के तीन तत्वों यानी जल, वायु और पृथ्वी से प्रेरित है। इन तत्वों के आधार पर मेहमान कमरों का चयन कर सकते हैं।


यहाँ के कमरे
यहाँ तीन तरह के कमरे उपलब्ध हैं जैसे ट्री हाउस नेस्ट्स, ओवर-वॉटर कॉटेज और अर्थ हाउस एबोड्स आदि। हवा के तत्वों से भरपूर ट्री हाउस नेस्ट्स बहुत ही आरामदायक है। कीकर पेड़ों के नीचे स्थित ये ट्री हाउस मेहमानों के ट्रीहाउस में रहने का सपना पूरा करता है। यहाँ आप अनगिनत पक्षियों के चहचहाने, प्राकृतिक हरियाली और ताज़ी हवा का आनंद ले सकते हैं।


अगर आप पानी वाली जगह पर अपनी छुट्टी बिताना चाहते हैं तो फिर आपके लिए नौ ओवर-वॉटर कॉटेज हैं। यहाँ के कैस्केडिंग झरने, जकूजी, आउटडोर शॉवर, आंगन के साथ कांच के फर्श वाला सेक्शन आपको ऐसा महसूस कराएगा जैसे आप पानी पर चल रहे हैं।
कमरों के लिए तीसरा विकल्प अर्थ हाउस एबोड्स है। देश में मिट्टी के घरों की बढ़ती प्रवृत्ति के आधार पर बने यह कमरे ग्रामीण जीवन की भावना को उजागर करते हैं। कमरों में तो मिट्टी की फिनिशिंग है जबकि इसके बाहरी हिस्से गाँव की कलाकृतियों से सजे हैं।


रिज़ॉर्ट और उसके आसपास क्या करें?
यहाँ आपके लिए लंबी सूची है। मनोरंजन के लिए अलग कमरा है, वहीं बच्चों के लिए एक बैडमिंटन, वॉलीबॉल कोर्ट और दूसरे गेम्स की भी व्यवस्था है। इसके अलावा बाहरी गतिविधियों जैसे नेचर जिम, जंगल सफारी के साथ ही बर्ड वॉचिंग का भी आप चयन कर सकते हैं।

अगर आप बाहर घूमना ही चाहते हैं तो जयपुर में ऐसी बहुत सारी जगहें हैं जैसे-



चौकी घानि
यहाँ आप जी-भर कर खाएँ:


आमेर किला
राजसी दृश्यों का आनंद लें:


सिटी पैलेस
उस महल का दीदार करें जो एयरबीएनबी में तब्दील हो चुका है:
 

हवा महल
जयपुर के आसमान को यहाँ से निहारें:



यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय

जयपुर में गर्मी के मौसम में बहुत ज्यादा गर्मी होती है। इसलिए इस रिज़ॉर्ट में जाने का सबसे बढ़िया समय सितंबर से मार्च तक का होता है। आप अगर प्रकृति प्रेमी हैं तो यह स्थान आपकी लिस्ट में ज़रूर होना चाहिए। अपने शहर की हलचल से दूर सुकून भरे वातावरण में आराम फरमाने के लिए आज ही इस रिजॉर्ट में अपना कमरा बुक करें।


दोस्तों हम आपको भारत 😍 की सबसे खूबसूरत जगहों के बारे में बताते हैं हमारे पेज से जुड़ें ओर अपने मित्रों को भी जोड़ें कुदरत की खूबसूरती को निहारे😍☺️
🙏🙏🙏🙏🌹


https://www.facebook.com/शुभ-शगून-Tourism-100945788355366/


शुभ शगुन टूरिज़म
9873628683
Share:

अगर आप भी कोरोना वायरस संकट के बीच घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आप इन 5 जगहों पर जा सकते हैं !

अगर आप भी कोरोना वायरस संकट के बीच घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आप इन 5 जगहों पर जा सकते हैं !


दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति राज्य मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने हाल ही में ट्वीट कर सभी स्मारकों को खोलने की सलाह दी है। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है। साथ ही लंबे समय घरों में बंद रहने के बाद लोगों को देश के विभिन्न समरकों में सैर करने का भी मौका मिलेगा। अगर आप भी कोरोना वायरस संकट के बीच घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आप इन 5 जगहों पर जा सकते हैं


1. लाल किला, नई दिल्ली

इस किले को 1648 में शाहजहां ने बनवाया था। यह बलुआ पत्थर से बना है और यह दो किलोमीटर तक फैला हुआ है। वर्तमान में इसमें दो मुख्य द्वार लाहोरी और दिल्ली गेट है। इस किले के अंदर मीना बाजार भी है।


2. स्वर्ण मंदिर, अमृतसर

यह मंदिर पंजाब के अमृतसर शहर में स्थित है। इसे हरमंदिर साहिब गुरुद्वारा भी कहा जाता है। यह सिख धर्म के पवित्र स्थलों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण स्वर्ण अर्थात सोने से किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में रोजाना 50 हजार श्रद्धालुओं को प्रसादम ( भोजन ) दिया जाता है।

3. मैसूर पैलेस

इस पैलेस का निर्माण 14 वीं शताब्दी में हुई है। इसके बाद 1897 में इसका पुनः निर्माण किया गया था। यह पैलेस भारत-सर्सेनिक वास्तुकला के अंतर्गत बनी है। जबकि पैलेस तीन मंजिला है। इसकी ऊंचाई तकरीबन 145 फुट है और पैलेस में खूबसूरत उद्यान भी है। प्रमुख उतस्वों के दिन सोने का सिंहासन भी दिखाई देता है।


4. अजंता और एलोरा गुफाएं

इस वास्तुकला का निर्माण 5 वीं और 10 वीं शताब्दी के बीच हुई है। इन गुफाओं बुद्ध, जैन और हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं की पत्थर से बनी प्रतिमा है। इसमें 12 बुद्ध, 17 हिन्दू और 5 जैन गुफाएं हैं। इसकी गिनती विश्व पुरातन धरोहरों में होती है।


5. आमेर का किला, जयपुर

आमेर का किला आमेर शहर में स्थित है जो कि जयपुर से 11 किलोमीटर दूर है। इसे मीणा समाज द्वारा 1592 में बनाया गया था। यह किला भी बलुआ पत्थर से बना है। इसमें कई तरह के आधुनिक वास्तुकला दिखती है, जिनमें शीश महल, दीवान-ए-आम और दीवान-ए-खास प्रमुख है। इसके अलावा इस किला में सुख निवास है।





दोस्तों हम आपको भारत 😍 की सबसे खूबसूरत जगहों के बारे में बताते हैं हमारे पेज से जुड़ें ओर अपने मित्रों को भी जोड़ें कुदरत की खूबसूरती को निहारे😍☺️
🙏🙏🙏🙏🌹


https://www.facebook.com/शुभ-शगून-Tourism-100945788355366/


शुभ शगुन टूरिज़म
9873628683
Share:

रोमांच का अड्डा है हिमाचल प्रदेश! अपनी सुंदरता और बर्फ के लिए मशहूर हिमाचल में आप एडवेंचर का भरपूर मजा ले सकते हैं।

रोमांच का अड्डा है हिमाचल प्रदेश! अपनी सुंदरता और बर्फ के लिए मशहूर हिमाचल में आप एडवेंचर का भरपूर मजा ले सकते हैं।

पहाड़ की सुंदरता हर किसी को पसंद होती है। उस पहाड़ के बीच अठखेलियाँ खाती बहती नदी का अंदाज निराला होता है। वो मैदानों में बहनी वाली नदियों की तरह सहज और सामान्य नहीं होती है। जब नदी का वेग पहाड़ों से टकराता है तो वो एक अलग ही रोमांच होता है। किसी को उस नदी के किनारे बैठना पसंद है तो कोई उस नदी के बीच अठखेलियाँ खाना चाहता है। इसलिए पहाड़ों के बीच बहुत कुछ एडवेंचर करने को है। इसमें हाइकिंग, पैराग्लाइडिंग और रिवर राफ्टिंग नौजवानों के बीच बहुत लोकप्रिय है। पहाड़ों में सबसे ज्यादा जहाँ लोग जाते हैं वो जगह है, हिमाचल प्रदेश। अपनी सुंदरता और बर्फ के लिए मशहूर हिमाचल में आप एडवेंचर का भी मज़ ले सकते हैं।

गर्मियों में पसीने, चिलचिलाती धूप और सूखते गले से लोग अक्सर परेशान रहते हैं। तब सब कहते हैं ये गर्मियाँ आती ही क्यों हैं? लेकिन गर्मियाँ आनी चाहिए ताकि हम पहाड़ों में कुछ एडवेंजर्स कर सकें। ये एक्टिीविटी करने में मज़ा भी आता और साहसी भी बनाता है। हिमाचल में बहुत सारी जगहें हैं जहाँ ये एडवेंजर्स होते है। इसलिए हम आपको बता रहे हैं हिमाचल की उन जगहों के बारे में जो अपने क्रेजी एडवेंजर के लिए जानी जाती हैं।

1. बीर बिलिंग- पैराग्लाइडिंग
ज़मीन से अचानक कुछ मिनटों के लिए हवा में उड़ना एक अलग ही अनुभव होता है। उस समय आप वैसा ही कुछ अनुभव करते हो जैसे उड़ते समय कोई पंछी, बस ऐसा ही कुछ है पैराग्लाइडिंग। आज के यंगस्टर्स इसके के लिए बेहद उत्सुक रहते हैं और इसके लिए सही जगह है बीर-बिलिंग। बीर बिलिंग दुनिया की सबसे बेस्ट पैराग्लाइडिंग साइट में से एक है। बीर बिलिंग हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित है। कांगड़ा पूरी दुनिया में खूबसूरत चाय के बागानों के लिए फेमस है।
धौलाधार रेंज की पर्वत श्रृंखलाओं पर 2,290 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है बिलिंग। चारों तरफ ऊँचे-ऊँचे पहाड़ हैं और यहीं तिब्बती कॉलोनी के पास 1,400 मीटर की उँचाई पर स्थित है छोटा-सा गाँव बीर (बीड़)। बिलिंग से आप हवा में उड़ते हैं और लगभग 25-30 मिनट आसमां का रोमांच लेते हैं और फिर बीर के घास के मैदानों में नीचे उतरते हैं। अगर आप पैराग्लाइडिंग पहले कर चुके हैं तो आपका रोमांच चरम पर होगा। जो पहली बार करेगा उसके मन में डर रहेगा लेकिन यहाँ आपकी मदद के लिए प्रशिक्षक हैं, जो आपके साथ पैराग्लाइडिंग में रहते हैं जिससे आप डरें भी कम और अच्छी तरह से एंजॉय भी कर सकें। अगर आप पैराग्लाइडिंग करने की सोच रहे हैं तो हिमाचल में इससे अच्छी जगह दूसरी नहीं होगी। बीर बिलिंग से सबसे निकट दो कस्बे हैं एक बैजनाथ जो 14 कि.मी. दूर है और पालमपुर जो 29 कि.मी. की दूरी पर है।


जाने के लिए सही समयः मॉनसून से पहले,अप्रैल से मई में और सितंबर से अक्टूबर।


2. कुल्लू-मनाली- रिवर राफ्टिंग और बहुत कुछ
अगर आप सच में घुमक्कड़ हैं तो आप चाहेंगे कि आपका हर दिन चुनौती से भरा हो। अगर आपको चुनौतियों से जूझना पसंद है तो आपको कुल्लू-मनाली चले आना चाहिए। यहाँ ब्यास नदी के सफेद पानी में रिवर राफ्टिंग का रोमांच, रस्सियों पर नदी पार करने का रिस्क, उसके बाद हनुमान टिब्बा के पास हेली स्कीइंग के लिए खतरनाक पहाड़ और घाटियों के बीच ट्रेकिंग। ये सारे अनुभव आपको कुल्लू-मनाली में मिल जाएँगे। आपको यहाँ समझ में आएगा कि चुनौती क्या होती हैं और उनको पार कैसे किया जाता है?

वैसे तो कुल्लू-मनाली हिमाचल की इतनी खूबसूरत जगह है कि आप यहाँ घूमना ज्यादा पसंद करेंगे। इसकी खूबसूरती को निहारने साल भर सैलानी आते ही रहते हैं। जिनको पता नहीं उनको बता दूँ कि कुल्लू-मनाली एक नहीं बल्कि दो अलग-अलग जगहों के नाम है। दोनो ही जगह बहुत खूबसूरत है यहाँ ब्यास नदी की कलकल है, बर्फ से ढंके पहाड़ हैं और चारों तरफ फैली हरी घास है। यहीं पर ही अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एलाइड स्पोर्ट्स (एबीवीआईएम) का मुख्यालय है। जो देश का सबसे बड़ा टेनिंग सेंटर है। पर्वतारोही, टैकर, स्कीइंग और कई अन्य एंडवेंचर के लिए यहाँ रजिस्टेशन कराते हैं। कुल्लू में आएँ तो इन सभी एडवेंचर गतिविधियों का हिस्सा जरूर बनें।

जाने के लिए सही समयः आप यहाँ पूरे साल में कभी भी आ सकते हैं। गर्मियों के अंत में अप्रैल से जून, मॉनसून में जुलाई से सितंबर और सर्दियों में नवंबर से फरवरी तक।


3. लाहौल स्पीति- ट्रेकिंग

 
जांस्कर की पहाड़ियों, किन्नौर और तिब्बती पठार से घिरा हुआ है हिमाचल प्रदेश का लाहौल स्पीति। लाहौल स्पीति का इलाका बीहड़ इलाके, सर्द मौसम, नदियों और खूबसूरत झीलों के लिए जाना जाता है। दुनिया में शायद ही ऐसी कोई जगह हो जहाँ इतनी खूबसूरती के बीच ट्रेकिंग और रिवर राफ्टिंग जैसी रोमांचक गतविधियाँ होती हों। इन सबको करने की गुंजाइश देता है , लाहौल स्पीति। इसके अलावा लाहौल स्पीति ट्रेकर्स के लिए भी बहुत फेमस है। जो ट्रेकिंग की शुरूआत करना चाहते हैं या कम ऊँचाई वाले ट्रेक करना चाहते हैं, लाहौल स्पीति में छोटे-छोटे ऐसे कई ट्रेक हैं।

ट्रैवलर्स के लिए सबसे ज्यादा पार किया जाने वाला रूट भी लाहौल से गुज़रता है, जो मनाली से जांस्कर तक का है। रास्ते में रूकने के लिए कई गाँवों में कैंप भी लगाये गए हैं। पास में ही नदी है, जो यहाँ रिवर राफ्टिंग के लिए बहुत फेमस है। जंगलों के बीच से गुज़रने वाली नदी में रिवर राफ्टिंग करके आप खुश हो जाएँगे। नदी के बहाव जैसे-जैसे तेज होगा, आपका उत्साह भी बढ़ता जाएगा। इसके अलावा माउंटेन साइकिलिंग, जीप सफारी भी कर सकते हैं। आपको यहाँ साइट पर मदद के लिए कई गाइड और इंस्ट्रक्टर से मिल जाएँगे जिनकी आप चाहें तो मदद ले सकते हैं। आप बिना मदद के भी एडवेंचर का आनंद ले सकते हैं।

जाने के लिए सही समयः लाहौल स्पीति जाने के लिए सबसे सही समय है, जून से अक्टूबर।



4. सांगला घाटी- ट्रेकिंग
फेमस और जानी-पहचानी जगह पर तो सभी जाते हैं लेकिन घुमक्कड़ नई जगहों पर जाना पसंद करते हैं। ऐसे ही घुमक्कड़ और सैलानियों के लिए जन्नत है सांगला घाटी। सांगला, हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में है, जो तिब्बती बाॅर्डर से सिर्फ 30 कि.मी.दूर है। हिमाचल की सबसे अद्भुत घाटियों में से एक है सांगला घाटी। इस घाटी में बसपा नदी बहती है जिसके आसपास हरे-भरे फूल हैं, जो आप पर आकर्षण की छाप छोड़ जाते हैं।

जो लोग खतरनाक पहाड़ों पर ट्रैक करने की चाहत रखते हैं उनके लिए सांगली घाटी सही विकल्प है। इसके अलावा यहाँ के जंगलों में घूम सकते हैं, कैंपिंग कर सकते हैं और आसपास के खूबसूरत नजारों का आनंद ले सकते हैं। रोमांच की चाहत रखने वालों के लिए यहाँ के सबसे बढ़िया ट्रेक पर आप चल सकते हैं। उन ट्रैक में संगा, कमरु, रक्छम, चितकुल ट्रेक, किन्नौर-कैलाश ट्रेक, डोरिया, झुपिका, हर की दून ट्रेक शामिल हैं। इन कठिन और ऊबड़-खाबड़ ट्रेक के अलावा आप आसान ट्रैक भी चुन सकते हैं, जहाँ आप प्रकृति की सैर कर सकें।

जाने के लिए सही समयः मॉनसून से पहले अप्रैल से जुलाई और बाद में सितंबर से नवंबर।


5. महाराणा प्रताप सागर- कनोइंग, कांगडा़

 पोंग डैम के लिए फेमस महाराणा प्रताप सागर हिमाचल के कांगड़ा जिले में ब्यास नदी पर स्थित है। 2 कि.मी. लंबा ये डैम भारत का सबसे उँचा अर्थफिल बांध है। देश-विदेश से यहाँ टूरिस्ट आते हैं और पानी में अलग-अलग प्रकार की गतिविधयाँ करते हैं। हाल ही में यहाँ वाॅटर स्पोर्टस सेंटर की स्थापना की गई, जिसमें जिसमें कैनोइंग, नाव चलाना, स्विमिंग, के संबंध पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। यहाँ आप तीन स्तरीय पाठ्यक्रमों के लिए खुद को पंजीकृत भी करा सकते हैं, सामान्य, मध्यवर्ती और सबसे बढ़िया। यहाँ कोई भी आसानी से इन एडवेंचर्स और मनोरंजक गतिविधियों का आनंद ले सकता है। इसके अलावा यहाँ आप बर्ड वॉचिंग के लिए भी कुछ समय निकाल सकते हैं, जो रोमांचक तो नहीं लेकिन थोड़ा सुकून ज़ुरूर देता है। यहाँ आप उन दुर्लभ पक्षियों को देख जो दुनिया में कम ही पाए जाते हैं। यहाँ से सबसे पास प्रमुख शहर है पठानकोट, जो यहाँ से 65 कि.मी. दूर है और धर्मशाला 112 कि.मी. दूर है।


जाने के लिए सही समयः वैसे तो आप यहाँ कभी भी आ सकते हैं लेकिन सबसे अच्छा समय है नवंबर से मार्च।


 इन एडवेंजर के बीच आप बहुत कुछ देख पाते हैं, नदी का बहता प्रवाह, शांत और स्थिर पहाड़ और हमारा चंचल मन। तो आप कब निकल रहे हैं अपने अगले रोमांच पर?





हम आपको भारत 😍 की सबसे खूबसूरत जगहों के बारे में बताते हैं हमारे पेज से जुड़ें ओर अपने मित्रों को भी जोड़ें कुदरत की खूबसूरती को निहारे😍☺️
🙏🌹

शुभ शगुन टूरिज़म
9873628683
Share:

Labels

About me


Contact us :-

शुभ शगुन टूरिज़म

Pawan Kashyap
whatsapp no. +91 9873628683

Labels

Blogger templates